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सूचना प्रौद्योगिकी नियमों में संशोधन से अनुपालन लागत का बोझ बढेगा
भोपाल [महामीडिया] सूचना प्रौद्योगिकी नियमों में सरकार द्वारा प्रस्तावित संशोधन से सोशल मीडिया के मध्यस्थों के लिए अनुपालन लागत का बोझ बढ़ा सकता है। नीति संबंधी विशेषज्ञों ने यह आशंका जताई है। इस प्रस्तावित संशोधन के तहत आर्टिफिशल इंटेलिजेंस से निर्मित सभी सामग्री के लिए लेबलिंग और डिस्क्लेमर अनिवार्य किया जाना है। नियमों में इस संशोधन का उद्देश्य हानिकारक और ‘यथोचित रूप से प्रामाणिक’ डीपफेक छवियों, ऑडियो और वीडियो के प्रसार को रोकना है। नीति संबंधी विशेषज्ञों का कहना है कि केवल लेबल लगाने या एआई-सृजित ऐेसी सामग्री में मेटाडेटा डालने से समस्या का समाधान होने के आसार नहीं है। नियमों में दायित्व लिखना आसान है लेकिन तकनीकी रूप से उन्हें लागू करना बहुत मुश्किल है। यहां तक कि कोई गैर-तकनीकी व्यक्ति भी सामग्री बनाने के कुछ ही मिनटों के भीतर ऐसा कर सकता है और बाद में वॉटरमार्क, लेबल या डिस्क्लेमर मिटा सकता है।