ठेकेदारों की जनहित याचिका न्यायिक प्रणाली का दुरुपयोग

ठेकेदारों की जनहित याचिका न्यायिक प्रणाली का दुरुपयोग

मुंबई [ महामीडिया] बॉम्बे हाईकोर्ट ने एक फैसले में कहा कि ठेकेदारों को निविदा शर्तों के खिलाफ जनहित याचिका दायर करने की अनुमति देना अदालत की प्रक्रिया का सरासर दुरुपयोग है, और "पीआईएल की धारा की शुद्धता को प्रदूषित करता है"। चीफ जस्टिस देवेन्द्र उपाध्याय और जस्टिस डॉक्टर की खंडपीठ ने मुंबई महानगर क्षेत्र विकास प्राधिकरण  की ओर से जारी एक निविदा के खिलाफ एक ठेकेदार की जनहित याचिका को खारिज कर दिया। साथ ही याचिकाकर्ता पर 50,000 रुपये का जुर्माना भी लगाया। अदालत ने फैसले में कहा कि कथित तौर पर जनहित में दायर की गई याचिका वास्तव में परोक्ष उद्देश्यों से दायर की गई थी। याचिकाकर्ता ने, निविदा में उल्लिखित समान व्यवसाय में लगे एक सामाजिक कार्यकर्ता होने का दावा करते हुए विषय निविदा की कुछ शर्तों से व्यथित होने का दावा किया । याचिकाकर्ता ने दावा किया कि विवादित निविदा शर्तों के कारण, कुछ ठेकेदार निविदा प्रक्रिया में भाग लेने में सक्षम नहीं हैं।

सम्बंधित ख़बरें