रक्षा भूमि भारत की रक्षा व्यवस्था की नींव है: राजनाथ सिंह

रक्षा भूमि भारत की रक्षा व्यवस्था की नींव है: राजनाथ सिंह

नई दिल्ली  (महामीडिया) : रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने देश भर में 17 लाख एकड़ से अधिक रक्षा भूमि के प्रबंधन में रक्षा संपदा की महत्वपूर्ण भूमिका की सराहना की। उन्होंने कहा कि यह जिम्मेदारी साधारण नहीं है, क्योंकि रक्षा भूमि भारत की रक्षा व्यवस्था की नींव है। केन्‍द्रीय मंत्री ने आज नई दिल्ली में रक्षा संपदा दिवस समारोह के दौरान यह बात कहीं। 

रक्षा मंत्री ने कहा कि किसी राष्ट्र की शक्ति का माप केवल उसके हथियारों से नहीं, बल्कि उसके प्रशासन की ईमानदारी, पारदर्शिता और मूल्यों से होता है। उन्होंने कहा कि आने वाले वर्षों में सरकार छावनियों को और भी स्मार्ट, पर्यावरण अनुकूल और नागरिक-हितैषी बनाने के लिए प्रतिबद्ध है। रक्षा मंत्री ने कहा कि आज का दिन केवल एक उत्सव नहीं है बल्कि राष्ट्र के प्रति हमारी सामूहिक प्रतिबद्धता को दोहराने का भी एक अवसर है।

उन्होंने रक्षा संपदा के इस संगठन के अंदर इनोवेशन और नियमित उन्नति की एक स्थायी संस्कृति विकसित की। रक्षा मंत्री ने बताया कि आने वाले वर्षों में हमें छावनी क्षेत्रों को और भी अधिक स्मार्ट, ग्रीन और सिटीजन-फ्रेंडली बनाना है। हमें ऐसा प्रशासन विकसित करना है, जो और ज्यादा सरल हो, रिस्पॉन्सिव हो और भविष्य के प्रति सजग हो।

रक्षा मंत्री ने कहा कि छावनियों को हरा-भरा और स्वच्छ बनाना, जल संचयन पर काम करना, कचरा प्रबंधन में वैज्ञानिक अप्रोच अपनाना यह दिखाता है कि सुरक्षा और सस्टेनेबिलिटी साथ-साथ चल सकते हैं। यह आने वाले समय के लिए एक मॉडल बन सकता है।

राजनाथ सिंह ने रक्षा संपदा विभाग के अधिकारियों को संबोधित करते हुए कहा कि शिक्षा और स्किल डेवलपमेंट के क्षेत्र में भी आपके प्रयास प्रेरणादायक हैं। आज हमारी छावनियों में रहने वाले छात्र आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और रोबोटिक्स जैसे क्षेत्रों में भी आगे बढ़ रहे हैं। यह जरूरी भी है क्योंकि आज, जब दुनिया टेक्नोलॉजी पर फोकस कर रही है, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और डेटा प्रबंधन की बात हो रही है, तब यह आवश्यक है कि हमारे बच्चों को परंपरा और टेक्नोलॉजी के साथ जोड़ा जाए। रक्षा संपदा संगठन का डिजिटल ट्रांसफॉर्मेशन इसी संतुलन का उदाहरण है।

रक्षा मंत्री ने कहा कि आज अगर हमारा रक्षा क्षेत्र इतनी तेजी से प्रगति कर रहा है, तो उसमें आपके इस समर्पण का भी बड़ा योगदान है। किसी भी राष्ट्र की ताकत केवल हथियारों से नहीं मापी जाती। उसकी असली ताकत उसके सिस्टम, उसके प्रशासन और उसके मूल्यों में होती है। प्रशासन अगर ईमानदार, पारदर्शी और संवेदनशील हो, तो वह उस राष्ट्र की सबसे मजबूत ढाल बन जाता है। उन्होंने कहा कि आप अपनी ड्यूटी को केवल एक जॉब के रूप में न देखें। इसे राष्ट्र निर्माण का एक प्रभावी माध्यम मानें। अपनी क्षमता, अपनी ऊर्जा और अपने समय का अधिकतम उपयोग करें। हर दिन स्वयं को और बेहतर बनाने का प्रयास करें, नए स्किल सीखें, और इस बात को हमेशा याद रखें कि आपका प्रत्येक प्रयास भारत को और अधिक सशक्त बना रहा है।

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