
भगवान गणेश के साथ माता लक्ष्मी की पूजा का विधान
भोपाल [ महामीडिया] दीपावली का पर्व सिर्फ रोशनी और खुशियों का उत्सव नहीं, बल्कि धन, बुद्धि और संतुलन का प्रतीक भी है। इस दिन माता लक्ष्मी की पूजा की जाती है जो धन और वैभव की देवी मानी जाती हैं। लेकिन हर पूजा में उनके साथ श्रीगणेश की उपस्थिति अनिवार्य होती है ।पुराणों में एक कहानी है कि लक्ष्मी जी को यह अहसास हुआ कि लोग केवल धन की प्राप्ति के लिए उनकी आराधना करते हैं। इस अहंकार को देखकर भगवान विष्णु ने उन्हें समझाया कि धन की देवी होने के बावजूद भी उनका जीवन अधूरा है। कारण पूछा तो विष्णु जी ने कहा कि स्त्री तब तक पूरी नहीं होती जब तक उसे मां बनने का अनुभव न हो। लक्ष्मी जी इस बात से दुखी हुईं और उन्होंने माता पार्वती से सलाह ली। उन्होंने पार्वती से गणेश जी को दत्तक पुत्र रूप में देने का अनुरोध किया। इस पर लक्ष्मी जी ने वरदान दिया कि जहां भी उनकी पूजा होगी वहां गणेश जी की भी पूजा अनिवार्य होगी तभी से दीपावली पर लक्ष्मी जी और गणेश जी की पूजा की परंपरा शुरू हुई।