पूरे म.प्र. में गंगा सप्तमी पर्व श्रद्धा के साथ मनाया गया

पूरे म.प्र. में गंगा सप्तमी पर्व श्रद्धा के साथ मनाया गया

भोपाल [ महामीडिया] नर्मदा भक्तों के लिए मंगलवार का दिन हर्षित करने वाला दिन रहा क्योंकि गंगा सप्तमी पर मां गंगा, नर्मदा जी से मिलने के लिए आईं और इस मिलन के योग में नर्मदा तटों में लोगों ने स्नान, पुण्य दान कर अपने जीवन को धन्य किया। इस मौके पर सुबह से ही गौरीघाट, उमाघाट, तिलवाराघाट, भेड़ाघाट में स्नानार्थियों का मेला लगा रहा। नर्मदा तटों पर विभिन्न धार्मिक आयोजन भी हुये। गौरतलब है कि वर्ष में दो बार मां गंगा अपनी बहन नर्मदा जी से मिलने के लिए आती हैं। पहला गंगा सप्तमी और दूसरा गंगा दशहरा को। इसके लिए नर्मदा तट में विशेष तौर पर श्रद्धालु मां नर्मदा और मां गंगा का पूजन करने के लिए पहुचंते हैं। मंगलवार को नर्मदा पावन तट का नजारा ही अलग था। बड़ी संख्या में श्रद्धालु घाट पर पहुंचे। सबसे पहले भक्तों ने स्नान किया, नर्मदाष्टक का पाठ किया उसके पश्चात मां रेवा की आरती की। इस दौरान हर तरफ नर्मदे हर-हर का जयघोष गूंज रहा था। गंगा जी वैशाख शुक्ल पक्ष सप्तमी के दिन स्वर्ग लोक से भगवान शिव के केश में पहुंची थीं। इसलिए इस दिन को गंगा जयंती और गंगा सप्तमी के रूप में मनाया जाता है। जिस दिन गंगा जी की उत्पत्ति हुई थी उसे गंगा जयंती के नाम से जाना जाता है। इसी प्रकार जिस दिन गंगा जी पृथ्वी पर पहुंची थीं उसे गंगा दशहरा के नाम से जाना जाता है। गंगा जी की उत्पत्ति भगवान विष्णु के अंगूठे से राजा सगर के ६० हजार पुत्रों की राख को आशीर्वाद देने के लिए हुई थी, जो कपिल मुनि के श्राप से भस्म हो गए थे। राजा सगर के उत्तराधिकारी भागीरथ ने गंगा जी की पूजा अर्चना की और उन्हें इस धरती पर लाए। इसलिए गंगा जी को भागीरथी के नाम से भी जाना जाता है।

गंगा सप्तमी पर लाखों श्रद्धालुओं ने पर्व स्नान किया 

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