महर्षि संस्थान में ज्ञानामृत सत्संग

महर्षि संस्थान में ज्ञानामृत सत्संग

भोपाल [ महामीडिया]  महर्षि वैदिक सांस्कृतिक केंद्र, अरेरा कॉलोनी भोपाल में आज सितम्बर माह के तृतीय गुरुवार को "ज्ञानामृत सत्संग" का आयोजन किया गया। सत्संग कार्यक्रम में नगर के विद्वान वक्ताओं तथा बुद्धिजीवियों के समूह ने भाग लिया। कार्यक्रम में महर्षि महेश योगी वैदिक विश्वविद्यालय के प्रो निलिम्प त्रिपाठी ने अनंत चतुदर्शी, विश्वकर्मा पूजन एवं पितृपक्ष के महात्म्य पर रोचक परिचर्चा की गई। सामाजिक आध्यात्मिक पत्रिका "महा मीडिया" के सम्पादक नीतेश परमार ने परिचर्चा का संचालन किया ।

अनंत चतुर्दशी के महात्मय पर प्रोफ़ेसर त्रिपाठी ने  दर्शकों को बताया कि सृष्टि के सृजन के कारक जो पंचतत्व हैं उनमें सभी तत्वों के अधिष्ठाता देवी ,देवता हैं और प्रथम पूज्य श्री गणेश जी पृथ्वी तत्व के अधिष्ठाता है। प्रोफेसर त्रिपाठी ने इसके साथ ही महर्षि वेद व्यास जी द्वारा रचित महाभारत महाकाव्य की रचना से जुड़ी रोचक कथा भी सुनाई एवं लोकल्याणकारी कर्म की महत्ता भी बताई।

सत्संग का समापन महर्षि उपदेशामृत प्रवाह  के संकलित वीडियो के प्रसारण से हुआ जिसमें परम पूज्य महर्षि जी  द्वारा विश्व परिवार में वैदिक साधनाओं  के माध्यम से शांति स्थापित करने के महान संकल्प का उदघोष किया गया है । वीडियो अंश में परम पूज्य महर्षि जी ने " भारत के वैदिक साधकों हेतु आवश्यक व्यवस्थाओं के लिए सामूहिक प्रयास पर बल देते हुए समाज के सम्पन्न वर्गों को पहल करने हेतु प्रेरित किया।"

परिचर्चा में प्रो० त्रिपाठी ने विश्वकर्मा पूजन की महत्ता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि "भगवान श्री विश्वकर्मा जी स्थापत्य वेद के अधिष्ठाता देवता हैं । वे सृजन के प्रेरक हैं। इसीलिए सृजन एवं क्रियाशीलता की प्रेरणा हेतु उनकी आराधना की  जाती है।" 

कार्यक्रम के अंत में संपादक नीतेश परमार एवं प्रोफेसर त्रिपाठी ने उपस्थित लोगों द्वारा पूछे गए प्रश्नों का उत्तर देकर कार्यक्रम का समापन किया। इस संपूर्ण परिचर्चा का लाइव प्रसारण रामराज टीवी के वेबसाइट, यूट्यूब एवं फेसबुक चैनलों पर भी किया गया।

ज्ञानामृत सत्संग महर्षि संगठन के महर्षि आध्यात्मिक जनजागरण अभियान के अंतर्गत एक चर्चा मंच है जो प्रत्येक माह के पहले और तीसरे गुरुवार को आयोजित किया जाता है । इसका उद्देश्य संस्कृति जनमानस में  अपनी समृद्ध वैदिक जीवन पद्धति एवं संस्कृति के प्रति जागरूकता एवं गर्व का भाव विकसित करना है ।

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