मुंबई [महामीडिया]
भारत विश्व व्यापार संगठन में अमेरिका के एक प्रस्ताव का विरोध कर सकता है जिसमें सदस्य देशों के सबसे पसंदीदा राष्ट्र के दायित्व को खत्म करने की बात कही गई है। यह व्यवस्था समान और गैर-भेदभावपूर्ण टैरिफ की व्यवस्था सुनिश्चित करती है। अमेरिका का तर्क है कि यह बहुपक्षीय सिद्धांत आर्थिक और रणनीतिक वास्तविकताओं को प्रतिबिंबित करने में विफल रहा है।एमएफएन का सिद्धांत न सिर्फ इस दौर के लिए अनुपयुक्त है बल्कि यह देशों को अपने व्यापारिक संबंध बढ़ाने से रोकता है जिससे कि आपसी संबंधों के माध्यम से हर पक्ष को लाभ हो सकता है। दूसरे शब्दों में कहें तो एमएफएन से उदारीकरण में बाधा आती है। इससे सदस्यों को एक ही स्थल विश्व व्यापार संगठन में शामिल होने और सभी के लिए उपयुक्त एक ही आकार का दृष्टिकोण विकसित करने को बढ़ावा मिलता है। भारत ने अभी तक डब्ल्यूटीओ विश्व व्यापार संगठन में अमेरिकी प्रस्ताव का औपचारिक रूप से जवाब नहीं दिया है लेकिन एक भारतीय अधिकारी ने कहा कि भारत इस तरह के किसी भी कदम का विरोध करेगा।