
आयुर्वेद के जन्मदाता भगवान धन्वंतरि
भोपाल [ महामीडिया] भगवान धन्वंतरि सबसे अधिक पूजनीय देवताओं में से एक हैं, जो समुद्र मंथन के समय प्रकट हुए थे। उन्हें आयुर्वेद के देवता या चिकित्सा के देवता के रूप में जाना जाता है। ऐसा माना जाता है कि वे भगवान विष्णु के अवतार हैं, जो त्रिदेवों में से एक हैं। भगवान धन्वंतरि को आयुर्वेद का जन्मदाता माना जाता है। प्रत्येक देवता विभिन्न शक्ति का प्रतिनिधित्व करते हैं। किसी के पास अग्नि की शक्ति, किसी के पास आत्मा, किसी के पास वायु, कोई आकाश को तो कोई जल का प्रतिनिधित्व करता है, लेकिन कुछ ऐसे भी देवता हैं, जो सभी क्षेत्रों में भी शासन का सामर्थ्य रखते हैं। ऐसे ही एक देव हैं, धन्वंतरि जी, जो ब्रह्मांड के इकलौते चिकित्सक होने के नाते अग्नि, आकाश, जल, वायु, आत्मा हर क्षेत्र में अपनी पहुंच रखते हैं। जो आवश्यकतानुसार सभी देवों का उपचार करते हैं। कार्तिक कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी को भगवान धन्वंतरि का प्राकट्य हुआ था । भगवान धन्वंतरि भगवान विष्णु के 12वें अवतार हैं।
* धन्वंतरि जी आयुर्वेद के जनक और देव चिकित्सक हैं।
* मान्यता है कि धन्वंतरि की पूजा-अनुष्ठान से व्यक्ति निरोग और सुखी रहता है।
* धनतेरस को 'धन्य तेरस' या 'ध्यान तेरस' भी कहा जाता है।
* भगवान धन्वंतरि के हाथ में अमृत-कलश और औषधियों से भरा बर्तन लिए हुए दर्शाया जाता है।
* धन्वंतरि को स्वास्थ्य, दीर्घायु और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है।