महाराष्ट्र के स्कूलों में मनुस्मृति नहीं पढाई जाएगी

महाराष्ट्र के स्कूलों में मनुस्मृति नहीं पढाई जाएगी

भोपाल [ महामीडिया] महाराष्ट्र सरकार को यू-टर्न लेना पड़ा है। इससे पहले सरकार की योजना थी कि राज्य के सभी स्कूलों में मनुस्मृति को पढ़ाया जाए। ये सब हो पाता इससे पहले राज्य में विरोध शुरु गया। इस बीच महाराष्ट्र सरकार की तरफ से सफाई आई है कि वह महाराष्ट्र राज्य पाठ्यक्रम ढांचे की तरफ से दी गई सारी सिफारिशों को नहीं मानेगी।  ड्राफ्ट को सरकार की मंजूरी के बिना ही सार्वजनिक करके बड़ी गलती की गई है। इसी वजह से भ्रम की स्थित बनी हुई है।  ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि उचित प्रक्रिया के बिना ही ड्राफ्ट को सार्वजनिक कर दिया गया।  केसरकर ने कहा कि 11 और 12 में अंग्रेजी को अनिवार्य भाषा से बाहर इसलिए रखा गया है क्योंकि आगे की तकनीकी शिक्षा को भी आंचलिक भाषा में लाने का प्रयास किया जा रहा है। बता दें कि पिछले सप्ताह ही  महाराष्ट्र स्टेट कैरिकुलमम फ्रेमवर्क पेश किया था इसमें स्कूली शिक्षा में भारतीय ज्ञान को लाने की वकालत की गई थी। स्कूली किताबों में भगवद्गीता को भी शामिल करने का ड्राफ्ट तैयार किया गया था। महाराष्ट्र में स्कूली शिक्षा के सिलेबस मसौदे के एक अध्याय में संदर्भ के रूप में मनुस्मृति की पंक्तियों का उपयोग करने पर विवाद खड़ा हो गया था।  अब महाराष्ट्र सरकार ने इस सिलेबस पर नई सिफारिश को नहीं अपनाते हुए मनुस्मृति पाठ को सिलेबस से बाहर कर दिया है। मनुस्मृति हिन्दू धर्म व मानवजाति का एक प्राचीन धर्मशास्त्र व प्रथम संविधान (स्मृति) है। यह 1776 में अंग्रेजी में अनुवाद करने वाले पहले संस्कृत ग्रंथों में से एक था,जिसका उपयोग ब्रिटिश औपनिवेशिक सरकार के लाभ के लिए हिंदू कानून का निर्माण करने के लिए इस्तेमाल किया गया था।

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