वैश्विक दूरसंचार जगत में ‘सोर्स कोड’ की शर्त का विरोध शुरू

वैश्विक दूरसंचार जगत में ‘सोर्स कोड’ की शर्त का विरोध शुरू

भोपाल [महामीडिया] वैश्विक दूरसंचार उपकरण विनिर्माताओं ने अपने सॉफ्टवेयर के ‘सोर्स कोड’ उपलब्ध कराने की शर्त का विरोध किया है। सरकार ने जो नियम तय किए हैं उनके अनुसार ये कंपनियां सॉफ्टवेयर के सोर्स कोड देने के बाद ही अपने उत्पाद स्थानीय बाजार में बेच पाएंगी। सरकार ने यह शर्त पूरी करने लिए समय सीमा बढ़ा दी है और अब वैश्विक दूरसंचार उपकरण विनिर्माता कंपनियों को इसके लिए इस साल 31 दिसंबर तक का समय दिया है।यूरोपीय संघ के एक शीर्ष प्रतिनिधिमंडल ने भारत सरकार के साथ यह मुद्दा उठाया है और इस पर चिंता जाहिर की है। भारत के साथ मुक्त व्यापार समझौते पर बातचीत के लिए यह प्रतिनिधिमंडल भारत आया था। संचार सुरक्षा प्रमाणन योजना के अंतर्गत सॉफ्टवेयर के सोर्स कोड के आकलन के लिए किसी तीसरे पक्ष की प्रयोगशाला में उसकी जांच अनिवार्य है। यह योजना वर्ष 2020 में अधिसूचित हुई थी। फिलहाल यह व्यवस्था वाई-फाई उपकरण, राउटर्स एवं ग्राहक परिसर उपकरण पर लागू है और इस साल की दूसरी छमाही में रेडियो पर भी यह लागू हो जाएगी। सरकार के इस कदम का सबसे अधिक असर यूरोप की दूरसंचार कंपनियों पर हुआ है। उनका कहना है कि दुनिया में किसी अन्य देश में ऐसी व्यवस्था नहीं है और एक बार सोर्स कोड का खुलासा करने के बाद पूरी दुनिया में यह चलन शुरू हो जाएगा जिससे वैश्विक बौद्धिक संपदा अधिकारों  के लिए जोखिम खड़ा हो सकता है। यूरोप के प्रतिनिधिमंडल ने सरकार के समक्ष तर्क दिया कि संवेदनशील बुनियादी सोर्स कोड एक जगह रखने से साइबर हमलों का खतरा बढ़ जाएगा। कई कंपनियों को इस बात का डर सता रहा है कि सोर्स कोड प्रतिस्पर्द्धी कंपनियों के हाथ लग जाएगा जिससे उनके आईपीआर के लिए जोखिम बढ़ जाएंगे।

सम्बंधित ख़बरें