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म.प्र.में बाल विवाहों को रोकना एक चुनौती
भोपाल [महामीडिया] म.प्र.हर साल बाल विवाह रोकने के लिए करोड़ों रुपए का बजट खर्च करता है। इसके बावजूद राज्य में बाल विवाह के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। साल 2020 से 2025 तक छह सालों में हर साल औसतन 400 से ज्यादा बाल विवाह के मामले दर्ज हुए। मध्य प्रदेश में बाल विवाह की दर 23.1 है जो राष्ट्रीय औसत 23.3 के मुकाबले मामूली कम है लेकिन कुछ जिलों में स्थिति गंभीर है। जैसे राजगढ़ में बाल विवाह की दर 46.0, श्योपुर में 39.5, छतरपुर में 39.2, झाबुआ में 36.5 और आगर मालवा जिले में 35.6 प्रतिशत है। बाल विवाह से बच्चियों का पढ़ाई छोड़ना और उनका शोषण होता है । बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम हर धर्म, परंपरा और पर्सनल लॉ से ऊपर है।बाल विवाह एक गंभीर सामाजिक समस्या है जिसे भारत में रोकने के लिए कई कानूनी प्रावधान हैं। बाल विवाह निषेध अधिनियम 2006 के तहत, बाल विवाह को अवैध घोषित किया गया है और इसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाती है। इस मुद्दे को प्रभावी ढंग से हल करने के लिए समाज में जागरूकता फैलाना आवश्यक है।