चारधाम यात्रा सुचारु रूप से जारी

चारधाम यात्रा सुचारु रूप से जारी

भोपाल [महामीडिया] उत्तराखंड अपने कई प्राचीन मंदिरों के लिए जाना जाता है देश के अलग-अलग हिस्सों से सालों भर श्रद्धालु राज्य के कई मंदिरों में दर्शन के लिए आते हैं।ये सभी धाम उत्तराखंड के गढ़वाल क्षेत्र में ऊंचाई पर स्थित हैं.ऊंचाई वाले क्षेत्रों में स्थित ये मंदिर सर्दियों की शुरुआत (अक्टूबर या नवंबर) के साथ बंद हो जाते हैं और क़रीब छह महीने तक बंद रहने के बाद गर्मियों की शुरुआत (अप्रैल या मई) में खोल दिए जाते हैं।ऐसी मान्यता है कि चारधाम यात्रा को घड़ी की सुई की दिशा में पूरा करना चाहिए इसलिए इसकी शुरुआत यमुनोत्री से होती है। इसके बाद श्रद्धालु गंगोत्री की तरफ रवाना होते हैं और इसके बाद केदारनाथ में दर्शन करते हुए बद्रीनाथ जाते हैं और वहां पूजा-अर्चना के बाद ये यात्रा समाप्त हो जाती है।अक्षय तृतीया के दिन यमुनोत्री मंदिर के कपाट खोले गएचारधाम यात्रा यहीं से शुरू होती है. यमुना के उद्गम स्थल के क़रीब स्थित इस मंदिर तक पैदल, घोड़े या पालकी से पहुंचा जा सकता है।यह मंदिर समुद्र तल से 3,233 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। ये जगह उत्तरकाशी ज़िले में है। ऋषिकेश से यमुनोत्री की दूरी क़रीब 210 किलोमीटर है। यात्रा का दूसरा पड़ाव गंगोत्री मंदिर भी उत्तरकाशी ज़िले में स्थित है। यह ऋषिकेश से लगभग ढाई सौ किलोमीटर की दूरी पर है.गंगोत्री भारत के सबसे ऊँचे धार्मिक स्थलों में से एक है, जो समुद्र तल से 3,415 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है।गंगा नदी जिस स्थान से निकलती है उसे 'गोमुख' कहा जाता है जो गंगोत्री से लगभग 19 किलोमीटर दूर स्थित गंगोत्री ग्लेशियर में है।केदारनाथ उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग ज़िले में स्थित है जो समुद्रतल से 3,584 मीटर की ऊंचाई पर हिमालय के गढ़वाल क्षेत्र में पड़ता है। ऋषिकेश से केदारनाथ की दूरी क़रीब 227 किलोमीटर है।मंदिर तक पहुंचने के लिए आपको क़रीब 18 किलोमीटर की ट्रैकिंग करनी होती है।चारधाम यात्रा का आख़िरी पड़ाव बद्रीनाथ धाम है जो समुद्र तल से 3,100 मीटर की ऊंचाई पर है। यह अलकनंदा नदी के किनारे गढ़वाल हिमालय में है। ऐसा माना जाता है कि आदि शंकराचार्य ने आठवीं सदी में इसकी स्थापना की थी। यह मंदिर भगवान विष्णु को समर्पित है।

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