
भगवान श्री राम की एकमात्र चतुर्भुज प्रतिमा मांडू में
मांडू [ महामीडिया] भगवान श्री राम की एकमात्र चतुर्भुज प्रतिमा मध्य प्रदेश के मांडू में विराजमान है। लगभग 1200 वर्ष पुरानी प्रतिमा के दर्शन करने देश और दुनिया से लोग यहां पहुंचते हैं। इस प्रतिमा का इतिहास भक्ति से जुड़ा हुआ है। साधु को चतुर्भुज स्वरूप में भगवान राम ने स्वयं स्वप्न देकर तलघर से प्रतिमाएं जनकल्याण के लिए बाहर निकलवाने के आदेश दिए थे। राम नवमी के अवसर पर यहां हजारों श्रद्धालु पहुंचते हैं और सुख समृद्धि की कामना करते हैं। मांडू जितना ऐतिहासिक और नैसर्गिक सौंदर्य के लिए जाना जाता है, उससे भी कहीं ज्यादा प्रसिद्ध अपने धार्मिक इतिहास के कारण रहा है। यहां रामनवमी पर राम जन्मोत्सव धूमधाम से मनाया जाता है। देश के कोने-कोने से श्रद्धालु यहां पहुंचते हैं। मूर्ति स्थापना के बाद यहां राम नवमी के अवसर पर प्राचीन काल से मेला भी लगता आ रहा है। पुणे महाराष्ट्र के संत रघुनाथ दास जी महाराज को चतुर्भुज स्वरूप में सपने मैं आकर प्रभु ने कहा मांडू स्थित पूर्व दिशा में गूलर वृक्ष के नीचे भैरव की प्रतिमा है और प्रतिमा के नीचे तलघर है। उसमें मेरे इसी विग्रह से युक्त प्रतिमा है, अतः तुम उसे तलघर से जनकल्याण के लिए बाहर निकलवाओ। संत रघुनाथ दास जी भ्रमण करते मांडू पहुंचे और स्वप्न के अनुसार गूलर के वृक्ष की खोज की। पूर्व राजवंश की तत्कालीन महारानी को स्वप्न से अवगत कराया। खुदाई हुई और तलघर से मूर्तियां निकाली गई।