मिट्टी की सेहत के लिए पूरी दुनिया एकजुट हो
भोपाल [ महामीडिया] खाद्यान्न सुरक्षा के लिए मिट्टी की सेहत का ध्यान रखना बेहद जरूरी है। लेकिन अंधाधुंध खेती, रासायनिक उर्वरकों का इस्तेमाल और औद्योगिकीकरण से मिट्टी की सेहत बिगड़ रही है। भारत सहित पूरी दुनिया में मिट्टी की उत्पादक शक्ति में पिछले कुछ दशकों में कमी आई है। चेतावनी जारी करते हुए कहा है कि 2050 तक पृथ्वी की 90 प्रतिशत उपजाऊ भूमि का क्षरण हो सकता है। इससे आने वाले समय में वैश्विक जैव विविधता और मानव जीवन के लिए बड़ा संकट पैदा होगा। गौरतलब है कि मरुस्थलीकरण के विश्व एटलस के अनुसार, 75 फीसदी उपजाऊ मिट्टी का क्षरण पहले ही हो चुका है, जिसका सीधा असर 3.2 अरब लोगों पर पड़ रहा है। यदि यही स्थिति बनी रही तो 2050 तक स्थितियां बेहद गंभीर हो सकती हैं। एक अध्ययन के मुताबिक भारत में मिट्टी के अम्लीय होने से अगले 30 सालों में मिट्टी की ऊपरी 0.3 मीटर सतह से 3.3 बिलियन टन अकार्बनिक कार्बन का नुकसान हो सकता है।
पृथ्वी पर जीवन को बनाए रखने में मिट्टी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है, फिर भी अक्सर इसकी उपेक्षा की जाती है। इसका प्रबंधन ठीक से नहीं किया जाता। एक अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन के दौरान 194 सदस्य देशों से अपील की गई है कि वो अपनी मिट्टी के संरक्षण को प्राथमिकता दें। वहीं मिट्टी की उर्वराशक्ति को बढ़ाने के लिए भी प्रयास करें। कार्यक्रम के दौरान यूनेस्को ने अपने अंतरराष्ट्रीय भागीदारों के साथ मिलकर 'विश्व मृदा स्वास्थ्य सूचकांक' स्थापित करने की भी बात कही है। यह सूचकांक अलग अलग क्षेत्रों और पारिस्थितिकी प्रणालियों में मृदा गुणवत्ता के विश्लेषण और तुलना के लिए मानकीकरण उपाय में मदद करेगा।