
राजमार्ग अधिग्रहण के मामले अब हाई कोर्ट में दायर नहीं होंगे
भोपाल [महामीडिया] इलाहाबाद हाईकोर्ट ने राष्ट्रीय राजमार्ग अधिग्रहण से जुड़े मुआवजे के मामलों में निर्णायक फैसला सुनाया जिसके तहत ज़मीन मालिकों को सीधे हाई कोर्ट में रिट याचिका दायर करने से रोक दिया गया। कोर्ट ने साफ किया कि राष्ट्रीय राजमार्ग अधिनियम की धारा 3G के तहत दिए गए मुआवजे को चुनौती देने के लिए मध्यस्थता और सुलह अधिनियम, 1996 ही एकमात्र कानूनी रास्ता है। जस्टिस महेश चंद्र त्रिपाठी और जस्टिस अनीश कुमार गुप्ता की खंडपीठ ने यह व्यवस्था दी कि यदि मुआवजे की राशि से असंतुष्ट हर व्यक्ति सीधे अनुच्छेद 226 के तहत हाई कोर्ट आने लगे तो इससे अदालतें उन मामलों से भर जाएंगी जिन्हें निपटाने के लिए संसद ने एक विशेष मध्यस्थता तंत्र बनाया है। इस तरह की छूट देना कानून बनाने के पीछे विधायिका के मूल इरादे को निष्प्रभावी कर देगा।