बद्रीनाथ धाम में शंखनाद नहीं किया जाता 

बद्रीनाथ धाम में शंखनाद नहीं किया जाता 

भोपाल [ महामीडिया] बद्रीनाथ धाम मंदिर भारत के सबसे प्रसिद्ध विष्णु मंदिरों में से एक है। यह मंदिर देवभूमि उत्तराखंड राज्य में है। वैसे तो हिंदू धर्म में सारे वैष्णव मंदिर में शंखनाद आरती के दौरान किए जाते हैं। पर सिर्फ यही एक ऐसा मंदिर है, जहां शंखनाद बिल्कुल नहीं किया जाता है। आखिर इतने बड़े विष्णु धाम में शंख क्यों नहीं बजाया जाता । बद्रीनाथ धाम में शंख बजाने के पीछे एक मान्यता है कि, इस मंदिर के प्रांगण में जिसे तुलसी भवन कहा जाता है। वहां एक बार लक्ष्मी जी ध्यान मुद्रा में थी। उस समय भगवान विष्णु ने शंखचूर्ण  दैत्य का संहार किया था। जब लक्ष्मी जी ध्यान में बैठी हुईं थी उस समय भगवान विष्णु ने सोचा कि उनकी ध्यान-साधना में किसी प्रकार का विघ्न न आए। इस कारण उन्होनें दैत्य शंखचूर्ण  का वध करने के बाद शंख नहीं बजाया था। किसी भी युद्ध की विजय प्राप्ति के बाद शंखनाद किया जाता है। जहां आज बद्रीनाथ मंदिर है वहां एक समय पर भगवान विष्णु ने घोर तप किया था। इसलिए माना जाता है यहां साक्षात रूप में भगवान विष्णु निवास करते हैं। बद्रीनाथ में शंख न बजाने के पीछे एक वैज्ञानिक कारण भी है. जिसके अनुसार अगर यहां शंख बजाया जायेगा तो उसकी आवाज बर्फ से टकराकर ध्वनि पैदा करेगी, जिससे बर्फ में दरार पड़ सकती है और हिमस्खलन का खतरा भी बढ़ सकता  है, इसलिए बद्रीनाथ धाम मंदिर में  शंख नहीं बजाया जाता ।

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