सरकारों को भूमिहीन किसानों की संख्या नहीं मालूम

सरकारों को भूमिहीन किसानों की संख्या नहीं मालूम

भोपाल [महामीडिया] केंद्र सरकार द्वारा अब तक भूमिहीन किसानों की कोई विशेष जनगणना नहीं किया गया है। ऐसे में देश में बंटाई पर खेती करने वाले किसानों की सटीक संख्या उपलब्ध नहीं है। हालांकि कृषि जनगणना 2015-16 के अनुसार देश में पूरी तरह से पट्टे पर ली गई जोतों की संख्या 5,31,285 पाई गई थी। केंद्र सरकार ने अभी तक भूमिहीन किसानों की सटीक संख्या के लिए कोई सर्वेक्षण नहीं किया है लेकिन राज्य सरकारें अपने स्तर पर इनकी पहचान कर सकती हैं और उन्हें योजनाओं से जोड़ सकती हैं। विभिन्न कृषि योजनाओं का कार्यान्वयन राज्यों द्वारा किया जाता है और केंद्र सरकार इन प्रयासों में सहायता प्रदान करती है।भूमिहीन किसानों की पहचान को लेकर अभी भी स्पष्टता नहीं है। हालांकि, सरकार विभिन्न योजनाओं के तहत उन्हें सहायता देने का दावा कर रही है। लेकिन सवाल यह है कि जब भूमिहीन किसानों की सही संख्या ही पता नहीं है तो क्या ये योजनाएं सही लाभार्थियों तक पहुंच पा रही हैं ? जबकि 14.43 करोड़ किसान भूमिहीन हैं भूमिहीन किसानों की एक बड़ी संख्या 'बंटाई' पर खेती करती है भूमि के मालिक से कुल पैदावार की आधी फसल पर बंटाई बोई जाती है। ग्रामीण इलाकों का यह अपना एक प्रचलित खेती करने का तरीका है। इस नए कानून के जरिए पूंजीपतियों को कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग के लिए खुली छूट दी जा रही है। अब सोचने का विषय यह है कि गांव का कोई भूमिहीन किसान इन बड़े निजी क्षेत्र की फर्म से मुकाबला कैसे करेगा ? एक बड़ी कंपनी बड़ी आसानी से किसी किसान से उसकी भूमि 5 साल की अवधि के लिए एकमुश्त एडवांस पर ले सकती है लेकिन, गांव का एक भूमिहीन किसान यह करने में असमर्थ रहेगा। ऊपर से भारत के किसानों का एक बड़ा हिस्सा अशिक्षित है जो कि कानूनी अनुबंध करने में खुद को असहज पाएगा। ऐसी परिस्थिति में भूमिहीन किसानों का पूरा जीवन खत्म हो जाएगा।ऊपर से बड़ी कंपनियां मशीनों के जरिए खेती का कार्य करेंगी न कि मजदूरों के जरिए इसलिए बहुत अधिक रोजगार भी उत्पन्न नहीं होने जा रहे हैं। यह कानून देश के 14 करोड़ भूमिहीन किसानों के भविष्य को प्रभावित करने जा रहा है।

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