पूजा में हवन का महत्व   

पूजा में हवन का महत्व   

भोपाल [ महामीडिया] हिंदू धर्म में पूजा-अर्चना और धार्मिक अनुष्ठानों का महत्व है। सभी देवी-देवताओं की विधि-विधान से पूजा की जाती है। पूजन के बाद हवन किया जाता है। हवन और उसमें आहुति देने की प्रक्रिया एक समान होती है। हवन करने की परंपरा बरसों पुरानी है। प्राचीन काल से लोग हवन कर रहे हैं। हिंदू धर्म में हवन को शुद्धीकरण का कर्मकांड माना गया है। माना जाता है कि यदि पूजा-पाठ के दौरान हवन न किया जाए तो पूजा अधूरी है। हवन करने मन शांत रहता है और ग्रह दोष भी दूर हो जाते हैं। हवन करने से वास्तु दोष से भी छुटकारा मिलता है। हवन के पीछे वैज्ञानिक तर्क भी है। हवन करने से वायुमंडल शुद्ध होता है। इसमें इस्तेमाल होने वाली चीजें लाभकारी होती है। हवन से उठने वाले धुएं से कई प्रकार की बीमारियां दूर हो जाती है। साथ ही हानिकारक जीवाणु समाप्त हो जाते हैं।हवन के दौरान आहुति देते समय स्वाहा का उच्चारण किया है। स्वाहा बोलने के पीछे एक पौराणिक कथा है। मान्यता है कि प्रजापति दक्ष की बेटी का नाम स्वाहा था। जिनका विवाह अग्नि देव के साथ हुआ था। स्वाहा और अग्नि देव के जरिए समर्पित आहुति देवताओं तक पहुंचती है। इसका उल्लेख रामायण और महाभारत में भी किया गया है। अग्नि के जरिए ईश्वर की उपासना करने की विधि हवन या यज्ञ कहलाती है। कहा जाता है कि हवन करने से हमारे जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवेश होता है। पूजा के बाद हवन आज भी उतना ही शुभ फलदायी माना गया है, जितना पहले माना जाता था।

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