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महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए एक महिला सांसद का ठोस कदम
भोपाल [महामीडिया] कर्मचारियों को राहत देने वाला निजी सदस्य बिल लोकसभा में पेश कर दिया गया है। सांसद सुप्रिया सुले ने ‘द राइट टू डिस्कनेक्ट बिल पेश किया जिसमें कर्मचारियों को ऑफिस टाइम खत्म होने के बाद और छुट्टियों में काम से जुड़े कॉल-मेल का जवाब न देने का पूरा कानूनी अधिकार देने का प्रस्ताव है। भारतीय संसद में किसी सांसद को ‘प्राइवेट मेंबर’ तब माना जाता है जब वह किसी मंत्री पद पर न हो चाहे वह सत्ता पक्ष का हो या विपक्ष का। आजादी के बाद से अब तक केवल 14 निजी सदस्य बिल दोनों सदनों में पारित होकर राष्ट्रपति की स्वीकृति हासिल कर पाए हैं। बिल के अनुसार कर्मचारी तय ऑफिस टाइम के बाद काम से जुड़े कॉल, मैसेज या ई-मेल का जवाब न देने के अधिकारी होंगे। अगर उनपर उनके बॉस द्वारा इसका दबाव बनाया जाता है तो संस्था (कंपनी या सोसायटी) पर उसके कुल पारिश्रमिक का 1% तक जुर्माना लगाया जाएगा। 2018 में भी सांसद सुप्रिया सुले ने यह बिल लाने की कोशिश की थी लेकिन इस पर चर्चा आगे नहीं बढ़ पाई थी। एक बार फिर सांसद सुप्रिया सुले ने देश की पचास करोड़ महिलाओं के हित में एक बड़ा कदम उठाया गया है ।