महाशिवरात्रि पर्व में चार प्रहर की पूजा का विधान 

महाशिवरात्रि पर्व में चार प्रहर की पूजा का विधान 

भोपाल [ महामीडिया ] महाशिवरात्रि का त्योहार हर साल फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाया जाता है. ऐसी मान्यता है कि इस दिन भगवान शिव और देवी पार्वती का विवाह संपन्न हुआ था. ऐसा भी कहा जाता है कि इस दिन भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों का धरती पर प्राकट्य हुआ था. चार पहर की पूजा संध्याकाल यानि प्रदोषवेला से शुरू होकर अगले दिन ब्रह्ममुहूर्त तक की जाती है। पहले प्रहर में दूध से शिव के ईशान स्वरूप को,दूसरे प्रहर में दही से अघोर स्वरूप को, तीसरे प्रहर में घी से वामदेव रूप को और चौथे प्रहर में शहद से सद्योजात स्वरूप को अभिषेक कर पूजन किया जाता है  शिवरात्रि में जो रात का समय होता है उसमें चार पहर की पूजा होती है. प्रथम प्रहर भगवान शिव का अभिषेक ऊं ह्रीं ईशान्य नम मंत्र का जप करते हुए दूध से करना चाहिए। द्वितीय प्रहर में ऊं ह्रीं अघोराय नम जपते हुए दही से अभिषेक करें। तृतीय प्रहर में ऊं ह्रीं वामदेवाय नम का जप करते हुए घी से अभिषेक करें। 

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