म.प्र. के 4 लाख पेंशनर्स के लिए धारा 49 गले की हड्डी बनी

म.प्र. के 4 लाख पेंशनर्स के लिए धारा 49 गले की हड्डी बनी

भोपाल [महामीडिया] म.प्र. के करीब 4 लाख पेंशनर्स के लिए राज्य से छत्तीसगढ़ के अलग होने के समय तय किया गया एक नियम बड़ी फांस साबित हो रहा है। दोनों राज्यों के लिए धारा 49 के नाम से बनाए गए इस नियम की फांस के कारण पेंशनर्स को महंगाई राहत के मामले में 25 साल से भेदभाव का दंश भुगतना पड़ रहा है। इस अव्यावहारिक नियम की वजह से प्रदेश के पेंशनर्स का अटका डीआर लंबे इंतजार के बाद मिल पाया है। दरअसल धारा 49 के अनुसार पेंशनर्स से जुड़े मामलों में दोनों राज्यों की सहमति जरुरी होती है। इस अनिवार्यता के कारण ही पेंशनर से संबंधित मामलों में सहमति नहीं बन पाने के कारण समय पर निर्णय नहीं पाते।  मामला दो राज्य सरकारों के बीच का है लेकिन पिस रहे हैं पेंशनर्स। सरकारी सेवकों को केन्द्र और राज्य से जो सुविधाएं दी जाती है उनकी नियमावली भी पृथक-पृथक हुई थी, लेकिन पेंशनरों के बीच उस दौर में फंसा एक पेंच आज भी विवाद का कारण बना हुआ है। केन्द्र सरकार अपने कर्मचारियों को मूल सूचकांक के आधार पर जनवरी और जुलाई में महंगाई भत्ता देती है। इस आधार पर राज्य सेवकों को भी यह सुविधा देने का प्रावधान रहा है। मप्र में नियत तिथि से यह लाभ मिल रहा है, लेकिन पेंशनर इस भुगतान से छूटे हैं। कारण है कि इसके लिए धारा 49 के तहत मप्र सरकार को छत्तीसगढ की सहमति लेना पड़ती है। पिछले माह सरकार ने जनवरी से नियमित कर्मचारियों को जनवरी 2025 से दो फीसदी केन्द्र के समान डीए दिया। लेकिन पेंशनर्स अभी भी इससे वंचित हैं। कारण है कि इस मामले में छत्तीसगढ़ से अभी तक सहमति नहीं मिल पाई है।
किस नियम की वजह से हो रहा है नुकसान
अब इस मामले के पेंच को समझते हैं। एक नवंबर 2000 को मध्य प्रदेश से अलग होकर नया राज्य छत्तीसगढ़ बना था। इसके बाद कर्मचारियों के बंटवारे के समय दोनों राज्यों ने आपसी सहमति से एक समाधान खोजा। दोनों के बीच संपत्ति, कर्मचारियों के बंटवारे और पेंशनर्स की महंगाई राहत बढ़ाने के मामले में परस्पर सहमति की बात कही गई थी। इसी के तहत पेंशनर्स को महंगाई राहत दिए जाने के मामले में मध्य प्रदेश को राज्य पुनर्गठन अधिनियम-2000 के अनुसार छत्तीसगढ़ से सहमति लेना होता है। अधिनियम की धारा 49 की छठवीं अनुसूची के अनुसार दोनों राज्यों के बीच बंटवारे में मध्य प्रदेश को 73 प्रतिशत और छत्तीसगढ़ की 27 प्रतिशत शेयर देना होता है। इसी के अनुसार महंगाई राहत दिए जाने में यह स्थिति बनती है।यह धारा 2035 तक रहेगी। नियमित सेवक तो समय पर लाभ पा रहे है लेकिन पेंशनरों को गुजारा पेंशन के लिए भटकना पड़ रहा है। 

सम्बंधित ख़बरें