नई सहकारी नीति में राष्ट्रीय सहकारी बैंक की परिकल्पना

नई सहकारी नीति में राष्ट्रीय सहकारी बैंक की परिकल्पना

भोपाल [महामीडिया]  नई सहकारी नीति में सस्ता ऋण मुहैया कराने के लिए शीर्ष स्तर का नया राष्ट्रीय सहकारी बैंक बनाने की वकालत की है। इससे विभिन्न स्तर की सहकारी वित्तीय संस्थाओं के बीच सहयोग बेहतर होगा। इसके अलावा प्राथमिक कृषि सहकारी समितियों (पैक्स), जिला ऋण सहकारी बैंकों (डीसीसीबी) और राज्य सहकारी बैंकों के तीन स्तरीय ऋण ढांचे को कायम रखा गया है। नीति में कहा गया है ‘यह (शीर्ष राष्ट्रीय सहकारी बैंक) इन संस्थाओं की क्षमता को निखारने और मदद मुहैया कराने, क्षमता निर्माण करने, विशेषज्ञता प्रदान करने और कारोबारी संभावनाओं के सही उपयोग के लिए है।’  नीति में सहकारी समितियों के पंजीकरण की शक्ति के जटिल मुद्दे को नहीं छेड़ा गया है। इसलिए राज्य सहकारी समितियों का पंजीकरण राज्यों और बहु-राज्य सहकारी संस्थाओं का पंजीकरण केंद्र पर छोड़ा गया है। सभी सहकारी बैंक संस्थाओं का नियमन अभी भारतीय रिजर्व बैंक करता है मगर थ्रिफ्ट क्रेडिट सोसायटी जैसी गैर बैंकिंग सहकारी समितियां उसके नियंत्रण में नहीं आतीं। 

सम्बंधित ख़बरें