महाकुंभ की सफलता को उज्जैन सिंहस्थ में दुहरायेगा प्रदेश
भोपाल [ महामीडिया] भले ही सिंहस्थ उप्र के प्रयागराज में हो रहा है लेकिन प्रदेश सरकार के अफसरान लगातार वहां जा रहे हैं और अपनी उपस्थिति भी दर्ज करा रहे हैं। इसके पीछे की वजह है उज्जैन में होने वाले सिंहस्थ आयोजन की तैयारियों को लेकर जानकारी जुटाना। प्रदेश के अफसरान वहां पर रहकर भीड़ प्रबंधन से लेकर सुरक्षा, यातायात समेत अन्य सुविधाओं एवं व्यवस्थाओं की जानकारी जुटा रहे हैं। दरअसल, प्रदेश के उज्जैन में भी तीन साल बाद यानि की 2028 में सिंहस्थ कुंभ का आयोजन होना है। कुं भ शुरु होने से पहले भी प्रदेश के अफसरों का एक दल प्रयागराज में तैयारियों का जायजा लेने गया था। इसके बाद अब दूसरा दल भी वहां पर पहुंच चुका है। इस दल में उज्जैन कलेक्टर एसपी से लेकर स्थानीय अफसर शामिल हैं। यह अफसर वहां पर 21 जनवरी तक रहकर आयोजन से संबधित जानकरी लेंगे और मौके पर की की व्यवस्थाओं को भी देखेंगे। इस दौरान वे साधु संतों, अखाड़ों का दौरा करेंगे। भीड़ प्रबंधन, घाटों, बस, रेलवे स्टेशन, पार्किंग आदि स्थलों का दौरा करेंगे। मप्र के अधिकारी कुंभ से जुड़े अधिकारियों से भी चर्चा करेंगे। नीरज सिंह ने बताया कि प्रयागराज से लौटकर एक पूरी रिपोर्ट तैयार करेंगे। जो सिंहस्थ 2028 के आयोजन के लिए मददगार होगी। सिंहस्थ के लिए 15 सीनियर अधिकारियों का एक दल पिछले महीने ही कुंभ शुरू होने से पहले प्रयागराज कुंभ का अध्ययन करके लौट चुका है। 15 सदस्यीय दल ने तीन दिन तक वहां वीडियो, फोटो, और अन्य दस्तावेजों के जरिए जानकारी ली। इस दल का नेतृत्व उज्जैन एडीजी उमेश जोगा ने किया।
उज्जैन डीआईजी नवनीत भसीन ने बताया कि पिछले महीने ही हम प्रयागराज कुंभ का अध्ययन करके लौट आए हैं। 2028 के सिंहस्थ के लिए सबसे अधिक ध्यान ट्रैफिक और क्राउड मैनेजमेंट पर रहेगा। प्रयागराज में भीड़ प्रबंधन के लिए जिस दिशा से भीड़ आती है, उसके अनुसार अलग- अलग घाट बनाए गए हैं। जैसे लखनऊ से आने वाली भीड़ के लिए अलग घाट और मध्य प्रदेश से आने वाली भीड़ के लिए अलग घाट हैं। प्रयागराज में कुंभ के दौरान पुलिसकर्मियों के ठहरने के लिए टेंट बनाए गए है, लेकिन इस बार उज्जैन में स्थायी निर्माण किए जाएंगे जो भविष्य में भी काम आएंगे। उज्जैन एडीजी उमेश जोगा ने बताया कि कुंभ मेले में होटल रूम और कॉटेज के नाम पर हो रहे फर्जीवाड़े को रोकने के लिए यूपी सरकार ने जो कदम उठाए हैं, उसी तरह के उपाय उज्जैन सिंहस्थ में भी लागू किए जाएंगे। खोया-पाया केंद्रों में एआई का उपयोग प्रयागराज में किया गया है, जिसे उज्जैन में भी लागू किया जा सकता है।