
भारत की सांस्कृतिक और आध्यात्मिक धरोहर प्रकाश पर्व दीवाली
भोपाल [महामीडिया] दिवाली जिसे ‘प्रकाश पर्व’ के नाम से भी जाना जाता है हिंदू संस्कृति का एक महत्वपूर्ण त्यौहार है जिसे पूरे भारत में बहुत ही धूमधाम और उत्साह के साथ मनाया जाता है। यह त्यौहार बुराई पर अच्छाई और अंधकार पर प्रकाश की विजय का प्रतीक है। दिवाली का सबसे प्रमुख पौराणिक कथा भगवान राम से जुड़ा हुआ है। हिंदू महाकाव्य रामायण के अनुसार, भगवान राम को 14 वर्षों के लिए वनवास दिया गया था। उनके साथ उनकी पत्नी सीता और भाई लक्ष्मण भी थे। वनवास के दौरान, रावण ने सीता का अपहरण कर लिया। कई कठिनाइयों के बाद, राम ने हनुमान और उनकी वानर सेना की मदद से रावण को पराजित किया और सीता को बचाया। दिवाली, राम की अयोध्या वापसी का पर्व है जहां लोगों ने उनकी स्वागत के लिए दीयों की कतारें सजाई थी जो अज्ञानता और अंधकार को दूर करने का प्रतीक है। दिवाली के दिन देवी लक्ष्मी की पूजा भी की जाती है, जो धन और समृद्धि की देवी हैं ऐसी मान्यता है कि समुद्र मंथन के दौरान लक्ष्मी जी इस पावन रात को प्रकट हुई थी। भक्तगण अपने घरों को साफ-सुथरा करके और दीये जलाकर लक्ष्मी जी का स्वागत करते हैं, जिससे आने वाले वर्ष में समृद्धि की कामना होती है। दिवाली परिवारिक समारोह, मिठाइयों का सेवन, पटाखे फोड़ने और उपहारों के आदान-प्रदान का समय है। दीयों और सजावटों की रोशनी लोगों को एकजुट करती है जिससे सामुदायिक भावना और सद्भावना का संचार होता है। यह त्यौहार भारत की सांस्कृतिक और आध्यात्मिक धरोहर का एक जीवंत चित्रण है, जो हमें सदैव आशा और अच्छाई की विजय का संदेश देता है।