
न्याय का हृदय मानवीय ही रहना चाहिए
शिमला [महामीडिया] सुप्रीम कोर्ट जज जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि न्याय प्रदान करने की प्रणाली में तकनीक कभी भी मानवीय तत्व का स्थान नहीं ले सकती क्योंकि न्याय का हृदय हमेशा मानवीय ही रहेगा। मानव रचना विश्वविद्यालय के लॉ कॉलेज द्वारा आयोजित आरसी लाहोटी स्मृति व्याख्यान में जस्टिस सूर्यकांत ने कहा "जब हम तकनीक के माध्यम से कानूनी सहायता की पुनर्कल्पना करते है तो हमें यह नहीं भूलना चाहिए तकनीक केवल एक साधन है। न्याय का हृदय मानवीय ही रहना चाहिए।" जस्टिस कांत ने 'अंतर को पाटना: भारत में समावेशी न्याय के लिए डिजिटल युग में कानूनी सहायता की पुनर्कल्पना' विषय पर बोलते हुए कहा कि कानूनी सहायता बनावटी जवाबों का कारखाना नहीं बन सकती और डिजिटल युग में इसे लोगों की समस्याओं को केवल टिकटों की संख्या तक सीमित नहीं करना चाहिए। इसे एक मानवीय कार्य ही रहना चाहिए।