
सुप्रीम कोर्ट ने प्रसारण सेवाओं पर मनोरंजन कर को उचित ठहराया
भोपाल [महामीडिया] डिजिटल स्ट्रीमिंग और ओटीटी प्लेटफॉर्म जैसी प्रसारण सेवाओं पर मनोरंजन कर लगाने के राज्य के अधिकार को बरकरार रखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने माना है कि केंद्र और राज्य दोनों को मनोरंजन सेवा प्रदाताओं जैसे करदाताओं पर क्रमशः सेवा कर और मनोरंजन कर लगाने का अधिकार है। जस्टिस बीवी नागरत्ना और जस्टिस एन कोटिश्वर सिंह की पीठ ने माना कि प्रसारण संचार का एक रूप है और विलासिता की श्रेणी में आता है। कोर्ट ने तर्क दिया कि मनोरंजन संचार के माध्यम से दिया जा सकता है लेकिन दोनों कर अपने-अपने संवैधानिक क्षेत्रों के भीतर काम करते हैं जिससे केंद्र और राज्य को करदाता द्वारा की जाने वाली गतिविधियों पर सेवा कर और मनोरंजन कर एक साथ लगाने की अनुमति मिलती है।