भावातीत ध्यान से मस्तिष्क तरंगों की सुसंबद्धता में वृद्धि : ब्रह्मचारी गिरीश जी
भोपाल [ महामीडिया] तीर्थ राज प्रयाग में अयोजित महाकुंभ- 2025 के अवसर पर अरैल प्रयागराज में संगम तट स्थित महर्षि आश्रम में दिनांक 21/01/2025 को समस्त विश्व के कल्याण हेतु महर्षि महेश योगी जी के तपोनिष्ठ शिष्य ब्रह्मचारी गिरीश जी की उपस्थिति में वैदिक पंडितों द्वारा रुद्राष्टाध्यायी के 1331 पाठ एवं हवन सम्पादित किये गये। इस अवसर पर ब्रह्मचारी गिरीश जी ने अपने संदेश में कहा कि "भारत के प्रत्येक नागरिक के जीवन को सुव्यवस्थित करने हेतु मस्तिष्क की तरंगों में सुसंबद्धता में वृद्धि करना आज संपादित रुद्राष्टाध्यायी के 1331 पाठ एवं हवन का मुख्य उद्देश्य है जो परम पूज्य महर्षि जी द्वारा प्रणीत भावातीत ध्यान के नियमित अभ्यास से अत्यंत सरल एवं सहज है। "
प्रयागराज महाकुंभ के महर्षि आश्रम में चल रही श्रीमद् भागवत कथामृत प्रवाह के विश्राम दिवस पर आज सुप्रसिद्ध कथा वाचक बद्रीश जी महाराज ने बतलाया कि श्रीमद् भागवत कथा का यह संदेश है कि भगवान श्री कृष्ण के प्रत्येक कर्म में मानवीयता कूट-कूट कर भरी हुई है और उनके बताए गए मार्ग में चलकर मनुष्य इस संसार रूपी वैतरणी को पार कर सकता है। बद्रीश जी महाराज का कहना था कि आजकल के लोग गुरु यह देखकर बनाते हैं कि हमें गुरु का चयन उनके भजन एवं ज्ञान से करना चाहिए न कि उनके धन, वैभव एवं सम्पदा से । भगवान श्री कृष्ण की युद्ध नीति आज भी समसामयिक है। यदि सभी राष्ट्र इसका अनुपालन करने लगें तो कभी युद्ध की विभीषिका का सामना नहीं करना पड़ेगा अर्थात युद्ध का अवसर ही नहीं आएगा। भगवान श्री कृष्ण का संदेश शांति और प्रेम है।
आचार्य बद्रीश जी महाराज ने आज श्रीमद् भागवत कथा की पूर्णता के अवसर पर यह संदेश दिया कि धर्म युक्त आचरण ही प्रत्येक मानव का स्वभावगत कार्य होना चाहिए । यही श्रीमद् भागवत कथा का मूल सार है। इस अवसर पर महर्षि संस्थान के पदाधिकारियों द्वारा आचार्य बद्रीश जी महाराज का सम्मान किया गया।
सायंकाल महर्षि विद्या मंदिर विद्यालय कानपुर की चयनित छात्राओं द्वारा प्रस्तुत शिव-पार्वती, श्री कृष्ण-राधा से सम्बंधित भजनों एवं महारानी लक्ष्मी बाई की वीर गाथा से सम्बंधित नृत्य- नाटिका की प्रस्तुति ने उपस्थित भारी जन समूह को आनंदित कर दिया। दिनांक 22 शुभदिन मंगलवार से 28 जनवरी 2025 तक प्रतिदिन 2:30 बजे दोपहर से सायं 5:30 बजे तक महाकुंभ के दौरान सुप्रसिद्ध कथा व्यास आचार्य रामविलास चतुर्वेदी जी महाराज द्वारा श्री शिव महापुराण कथामृत का निरंतर प्रवाह होगा।