टॉक्सिक कंपाउंड से बचाव

टॉक्सिक कंपाउंड से बचाव

भोपाल [महामीडिया] आलू दुनियाभर में सबसे ज्यादा खाई जाने वाली सब्जियों में से एक है। यह कई सारे जरूरी पोषक तत्वों से भरपूर होता है। लेकिन अगर आलू अंकुरित हो जाते हैं तो इसे खाने से कई गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं। अंकुरित आलू वे होते हैं, जिनमें अंकुर यानी ‘आंखें’ उगने लगती हैं। यह अक्सर तब होता है, जब उन्हें लंबे समय तक स्टोर किया जाता है। अक्सर वे क्लोरोफिल के कारण हरे रंग के हो जाते हैं जो प्रकाश के संपर्क में आने पर बनता है। अंकुरित आलू सेहत के लिए सही नहीं होते हैं। इसमें सोलेनाइन और चाकोनाइन जैसे कुछ टॉक्सिक तत्‍व होते हैं। इसकी टॉक्सिसिटी से कई हेल्थ प्रॉब्लम्स हो सकती हैं। आलू जमीन के नीचे उगने वाली सब्जी है, जिसमें नमी और स्टार्च की मात्रा ज्यादा होती है। यही कारण है कि यह जल्दी अंकुरित हो जाता है। गर्म और नमी वाली जगह पर रखे आलू तेजी से अंकुरित होने लगते हैं। इसी तरह जब आलू पर रोशनी पड़ती है तो उनमें क्लोरोफिल बनने लगता है और अंकुर निकल आते हैं।अगर आलू को ऐसी जगह रखा जाए, जहां हवा न मिले तो वे जल्दी पसीज जाते हैं और अंकुरण शुरू हो जाता है। लंबे समय तक रखने पर आलू अपनी नेचुरल प्रोसिजर से भी अंकुरित होने लगते हैं। इसके अलावा प्याज-लहसुन जैसी सब्जियां इथिलीन गैस छोड़ती हैं जो आलू के अंकुरण को तेज करती हैं। कुल मिलाकर यह एक स्वाभाविक प्रक्रिया है। ये अंकुर वास्तव में नए आलू के पौधे होते हैं। जब आलू अंकुरित होने शुरू होते हैं तो यह नए अंकुरों के ग्रोथ के लिए अपने न्यूट्रिएंट्स का इस्तेमाल करते हैं। इससे आलू की न्यूट्रिशनल वैल्यू में कमी आ सकती है। आलू विटामिन C का एक अच्छा स्रोत है, लेकिन अंकुरित होने पर इसकी मात्रा कम हो जाती है।अंकुरण की प्रक्रिया में आलू में मौजूद स्टार्च शुगर में परिवर्तित हो जाता है, जिससे उसका ग्लाइसेमिक इंडेक्स बढ़ जाता है। इसके अलावा अंकुरित आलू में अन्य विटामिन और मिनरल्स जैसे पोटेशियम, विटामिन B, फाइबर और एंटीऑक्सिडेंट्स की मात्रा भी कम हो जाती है।अंकुरित आलू में सोलेनाइन और चाकोनाइन नामक टॉक्सिक ग्लाइकोएल्कलॉइड होते हैं, जो स्वास्थ्य के लिए नुकसानदायक हो सकते हैं। इसकी ज्यादा मात्रा से मतली, उल्टी, दस्त और पेट में ऐंठन हो सकती है। इसलिए अंकुरित आलू खाने से बचना चाहिए।

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