
ब्रिटिश बैंकों की भागीदारी पर गतिरोध दूर
भोपाल [ महामीडिया] ब्रिटिश बैंकों की भागीदारी पर गतिरोध खत्म करने के लिए रिजर्व बैंक और बैंक ऑफ इंगलैंड ने आज एक समझौते पर हस्ताक्षर किए। ब्रिटेन के कई बैंकों के लिए यह बड़ी राहत भरी खबर है।समझौते के जरिये बैंक ऑफ इंगलैंड के लिए एक व्यवस्था तैयार होगी, जिससे ब्रिटेन के वित्तीय स्थायित्व को महफूज रखते हुए वह रिजर्व बैंक की नियामकीय व निगरानी गतिविधियों पर भरोसा करेगा । यूरोपियन सिक्योरिटीज ऐंड मार्केट अथॉरिटी ने कहा था कि वह क्लियरिंग कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया समेत छह भारतीय क्लियरिंग हाउस की मान्यता खत्म कर देगा, जो सरकारी बॉन्डों और ओवरनाइट इंडेक्स्ड स्वैप के लिए ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म का काम करता है। यह फैसला तब लिया गया, जब रिजर्व बैंक ने विदेशी इकाइयों को सीसीआईएल के ऑडिट व निरीक्षण की अनुमति देने से इनकार कर दिया था। ईएसएमए के फैसले के बाद बैंक ऑफ इंग्लैंड ने भी ऐसा ही कदम उठाया, जो 30 जून से लागू होना था।जनवरी में सीसीआईएल ने थर्ड कंट्री-सेंट्रल काउंटरपार्टी के तौर पर मान्यता देने के लिए बैंक ऑफ इंगलैंड से संपर्क किया। बाद में ब्रिटेन ने रिजर्व बैंक की तरफ से अधिकृत सेंट्रल काउंटरपार्टी को बराबर मानने का फैसला लिया।अब सीसीआईएल के आवेदन को बैंक ऑफ इंगलैंड की मंजूरी मिलने की संभावना है। यह कदम ब्रिटिश बैंकों मसलन स्टैंडर्ड चार्टर्ड, बार्कलेज और एचएसबीसी को राहत देगा, जो सरकारी बॉन्ड और ओवरनाइट इंडेक्स्ड स्वैप ट्रेडिंग और विदेश से आने वाले निवेश को संभालने में अहम भूमिका निभाते हैं।