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भारत खुद बनाएगा बिना रेयर अर्थ वाली EV मोटर
भोपाल [महामीडिया] भारत में फेराइट और रिलक्टेंस मोटर विकसित करने के लिए परियोजना पर विचार किया जा रहा है। भारी उद्योग मंत्रालय इस परियोजना पर चर्चा करने के लिए वाहन निर्माताओं और अन्य हितधारकों की जल्द बैठक बुलाने जा रहा है। फेराइट और रिलक्टेंस मोटरों में हैवी रेयर अर्थ स्थाई मैग्नेट का इस्तेमाल नहीं किया जाता है। इस समय दुनिया के रेयर अर्थ स्थाई मैग्नेट का करीब 90 प्रतिशत उत्पादन चीन करता है। इन मैग्नेट का इस्तेमाल कुछ ऑटोमोबाइल कल पुर्जों में होता है। खासकर इलेक्ट्रिक वाहनों के ट्रैक्शन मोटर में इसका इस्तेमाल होता है। अप्रैल से चीन ने भारत को आरईपीएम निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया है जिससे घरेलू ऑटोमोबाइल उद्योग प्रभावित हो रहा है। रिलक्टेंस मोटर बिना किसी स्थाई मैग्नेट के काम करती है। इसके आयरन रोटर को इस तरह आकार दिया जाता है कि चुंबकीय प्रवाह लगातार इसे कम प्रतिरोध की स्थिति में खींचता है जिससे टॉर्क उत्पन्न होता है। चूंकि यह केवल स्टेटर क्षेत्र और आयरन रोटर के बीच चुंबकीय खिंचाव पर निर्भर है इसलिए इसे दुर्लभ धातु की आवश्यकता नहीं होती है।मोटर सस्ते और बनाने में सरल होते हैं लेकिन आमतौर पर कम टॉर्क डेंसिटी प्रदान करते हैं और मैग्नेट आधारित मोटरों की तुलना में अधिक शोर कर सकते हैं। वहीं फेराइट मोटर में मैग्नेट का इस्तेमाल होता है लेकिन इसमें नियोडियम जैसी दुर्लभ धातु का इस्तेमाल किया जाता है। ओला इलेक्ट्रिक ने देश की पहली बिना रेयर अर्थ मेटल वाली टू-व्हीलर फेराइट मोटर बनाई है। इस मोटर को सरकार की ओर से भी मंजूरी दे दी गई है।अभी भारत इलेक्ट्रिक व्हीकल मोटर बनाने के लिए चीन पर निर्भर है। चीन जब भी रेयर अर्थ मेटल के एक्सपोर्ट पर रोक लगाता है तो भारत में इलेक्ट्रिक मोटर का प्रोडक्शन प्रभावित होता है।