बसंत पंचमी: माता सरस्वती का स्वरूप 

बसंत पंचमी: माता सरस्वती का स्वरूप 

भोपाल (महामीडिया) कल बसंत पंचमी का पर्व है. माना जाता है कि इसी दिन माता सृष्टि के रचियता ब्रह्मा जी के मुख से प्रकट हुई थीं. कमल पर विराजमान मां सरस्वती के एक हाथ में पुस्तक, एक में वीणा, एक में माला और एक हाथ आशीर्वाद मुद्रा में है. उनका वाहन हंस है. बसंत पंचमी के दिन माता सरस्वती की पूजा की जाती है. भक्त माता का व्रत रखते हैं, उनसे आशीर्वाद पाने की कामना रखते हैं. लेकिन कोई भी कभी उनके स्वरूप को पहचाननने का प्रयास नहीं करता. हिंदू धर्म में हर देवी देवता का स्वरूप ही अपने आप में एक बड़ी प्रेरणा है. उस प्रेरणा को अगर हम जीवन में उतार लें, तो व्यक्तित्व खुद ही निखर जाएगा. बसंत पंचमी के अवसर जानिए माता सरस्वती का स्वरूप क्या प्रेरणा देता है.
कमल पर विराजमान
सबसे पहले कमल की बात करते हैं. कमल का फूल कीचड़ में खिलता है या पानी में, लेकिन वो स्वयं को इतना ऊंचा रखता है कि उसे न तो कीचड़ स्पर्श कर पाता है और न ही पानी. इससे ये संदेश मिलता है कि हमारे आसपास चाहे वातावरण कैसा भी हो, उसका प्रभाव हमारे जीवन पर नहीं आना चाहिए. हमें सिर्फ कमल की तरह स्वयं के व्यक्तित्व को निखारने का प्रयास करना चाहिए. निरंतर स्वयं की त्रुटियों को सुधारना चाहिए और अपने मन को कमल की तरह सुंदर बना कर रखना चाहिए. ऐसे मन पर परमेश्वर का हाथ हमेशा होता है.
हाथ में पुस्तक
माता के हाथ में पुस्तक होने के कारण लोग उन्हें ज्ञान की देवी कहते हैं. लेकिन वास्तव में ये पुस्तक लोगों को शिक्षा के लिए प्रेरित करने के लिए है. शिक्षा और ज्ञान से ही आपका उत्थान संभव है, इसलिए माता सरस्वती की कृपा पानी है तो जितना संभव हो, उतना ज्ञान लें.
हाथ में वीणा
जन्म के बाद माता सरस्वती ने वीणा के तार छेड़ा था, तो सारा संसार आनंद से चहक उठा था, ठीक वैसे ही, व्यक्ति को अपने मन को आनंदित रखना चाहिए, इतना आनंदित कि आपसे मिलकर दूसरे व्यक्ति का मन भी आनंद से भर जाए. वीणा का तात्पर्य खुश रहने और खुशी बांटने से है.
हाथ में माला
माता के हाथ में माला व्यक्ति को धर्म की राह पर ले जाने की प्रेरणा देती है. भगवान का मनन करने की प्रेरणा देती है. इसका मतलब है कि अगर आप ईश्वर का मनन करते हैं, उनके करीब रहते हैं, तो जीवन में आनंदित भी रहते हैं और ज्ञानी भी. इससे आप पर कभी अहंकार हावी नहीं होता. आप बस स्वयं को निखारते चले जाते हैं.
आशीर्वाद मुद्रा

माता की आशीर्वाद मुद्रा बताती है कि हमेशा लोगों के कल्याण के बारे में सोचिए. अच्छा करिए और अच्छा ही बोलिए. आप जो भी करते हैं, वो आपको वापस मिलता है. आप दूसरों का हित करेंगे तो आपका अहित माता कभी होने ही नहीं देंगी.
माता का हंस
माता के हंस में दूध और पानी को अलग कर देने की क्षमता होती है. इससे हमें प्रेरणा मिलती है कि हंस की तरह हमें भी जागरुक रहना चाहिए और विवेकपूर्ण जीवन जीना चाहिए, ताकि सही और गलत के बीच के भेद को समझ सकें.
 

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