बसंत पंचमी 30 जनवरी को
भोपाल (महामीडिया) ज्ञान, बुद्धि, शिक्षा, वाणी और वाक सिद्धि की देवी मां सरस्वती की पूजा का दिन बसंत पंचमी 30 जनवरी 2020 गुरुवार को आ रही है। माघ माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी के दिन मनाई जाने वाली बसंत पंचमी के दिन शिक्षा, साहित्य, लेखन आदि कार्यों से जुड़े लोग देवी सरस्वती की विशेष पूजा करते हैं। स्कूल-कॉलेजों में सरस्वती पूजन कर बसंत पंचमी पर्व मनाया जाता है। हिंदू शास्त्रों के अनुसार इस दिन से बसंत ऋतु का प्रारंभ होता है।
कैसे करें सरस्वती पूजन
बसंत पंचमी के दिन सरस्वती देवी का पूजन और मंत्र जप किया जाता है।
इस दिन स्नान आदि से निवृत्त होने के बाद शुद्ध स्वच्छ पीले या श्वेत वस्त्र धारण करें।
इस दिन इन दोनों रंगों के अलावा दूसरे रंगों के वस्त्र यथासंभव नहीं पहनना चाहिए।
अपने पूजा स्थान में माता सरस्वती की मूर्ति या चित्र स्थापित करें।
चंदन, हल्दी, केसर आदि से देवी का पूजन करें। पीले पुष्प अर्पित करें।
इस दिन घर में पीली मिठाई बनाकर देवी को नैवेद्य लगाना चाहिए।
सरस्वती के मंत्रों ऊं सरस्वत्यै नमः या बीज मंत्र ऊं ऐं का जाप स्फटिक की माला से करना चाहिए।
बच्चों के विद्यारंभ के लिए यह दिन सर्वश्रेष्ठ होता है। बच्चों की जीभ पर केसर से ऊं लिखने से वाक सिद्धि प्राप्त होती है।
बसंत पंचमी अबूझ मुहूर्त होता है। यानी इस दिन कोई भी शुभ कार्य करने के लिए पंचांग शुद्धि देखने की आवश्यकता नहीं है। इसलिए इस दिन बड़ी संख्या में विवाह होते हैं। नवीन दुकान, प्रतिष्ठान प्रारंभ करने या कोई भी नया कार्य प्रारंभ करने के लिए यह सबसे शुभ दिन होता है।
कैसे हुआ सरस्वती देवी का जन्म
हिंदू शास्त्रीय मान्यताओं के अनुसार भगवान विष्णु की आज्ञा से इसी दिन ब्रह्माजी ने मनुष्य की रचना की थी, लेकिन प्रारंभ में मनुष्य बोलना, समझना नहीं जानता था। धरती पर सबकुछ शांत था, कोई ध्वनि कोई आवाज नहीं थी। तब ब्रह्माजी ने अपने कमंडल से जल छिड़ककर एक चतुर्भुजी स्त्री की रचना की जिसके हाथ में वीणा थी। ब्रहमा ने इसे संसार में स्वर उत्पन्न करने का जिम्मा दिया। देवी ने जैसे ही अपनी वीणा के तार छेड़े संपूर्ण सृष्टि में एक तेज कंपन उत्पन्न हुआ, जिससे मनुष्यों को स्वर और वाणी प्राप्त हुई। धरती को स्वर देकर उसे रस से परिपूर्ण करने के कारण इन्हें सरस्वती कहा गया।