संतान की दीर्घायु के लिए महिलाओं ने रखा संतान सप्तमी का व्रत
भोपाल (महामीडिया) संतान सप्तमी पर महिलाओं ने संतान प्राप्ति और संतान की दीर्घायु की कामना के लिए व्रत रखा और भगवान का पूजन अर्चन कर व्रत कथा सुनी। विधि विधान से संतान सांते का पूजन किया गया।
संतान सप्तमी का व्रत महिलाएं अपनी पुत्र की दीर्घायु की कामना के लिए करतीं हैं और जिन महिलाओं को संतान नहीं होती वे संतान की कामना के लिए इस व्रत को रखतीं हैं। मान्यतानुसार इस व्रत के रखने संतान की प्राप्ति होती है और संतान की सभी बाधाएं दूर होतीं हैं। धार्मिक कथाओं में भी इसका वर्णन है। संतान सप्तमी के पूजन में विशेषकर चांदी की चूड़ी रखी जाती है जिसका पूजन करने के बाद महिलाएं अपने हाथ में चूड़ी को पहनतीं हैं।
दरअसल भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की सप्तमी को महिलाओं द्वारा संतान सातें का व्रत किया जाता है। यह मुख्य रूप से राजस्थान का त्योहार है। इसे दुबड़ी सातें या दुबड़ी सप्तमी भी कहते हैं। यह त्योहार संतान की मंगलकामना के लिए किया जाता है।