'व्रत' का महत्व और लाभ
भोपाल (महामीडिया) सनातन परंपरा में देवी-देवताओं के लिए रखा जाना वाल व्रत एक तरह से पावन यज्ञ या हवन का दूसरा रूप है। इसमें अपने आराध्य का आह्वान करके उनकी पूजा-पाठ या कृपा पाना ही मुख्य उद्देश्य होता है। सही मायने में व्रत को धर्म का साधन माना गया है। जिसमें व्रती सभी नियम एवं परंपराओं को मानता हुआ अपने आराध्य को जप-तप आदि के माध्यम से प्रसन्न करता है। व्रत की परंपरा लगभग दुनिया के सभी धर्मों में पाई जाती है। मनोाकामनाओं के लिए रखे जाने वाले ये व्रत मनुष्य के सभी पापों का नाश करके उन्हें पुण्य प्रदान करने वाले होते हैं। व्रत मनुष्य की मानसिक एवं आत्मिक शुद्धि का माध्यम है। जानते हैं सप्ताह के सात दिनों में रखे जाने वाले व्रत से किन कामनाओं की पूर्ति होती है।
रविवार का व्रत – प्रत्यक्ष देवता भगवान सूर्य के लिए रखे जाने वाले इस व्रत से रोग, शोक और शत्रु भय दूर होता है और सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है।
सोमवार का व्रत– चंद्र देवता के लिए रखे जाने वाले इस व्रत से मानसिक शांति और दांपत्य जीवन में सुख और समृद्धि आती है।
मंगलवार का व्रत– धरती पुत्र मंगल देव के लिए रखे जाने वाले इस व्रत से व्यक्ति को भूमि और भवन का सुख प्राप्त होता है। साथ ही साथ उसे शत्रुओं पर विजय, पुत्र सुख, वाहन सुख आदि की प्राप्ति होती है।
बुधवार का व्रत– चंद्र पुत्र बुध देव का व्रत रखने से बुद्धि में विकास, व्यापार में लाभ, संतान की प्राप्ति और कार्यक्षेत्र में प्रगति का आशीर्वाद प्राप्त मिलता है।
गुरुवार का व्रत– देवगुरु बृहस्पति के लिए व्रत रखने पर व्यक्ति को ज्ञान, सम्मान और सौभाग्य का आशीर्वाद मिलता है। उसके जीवन में धन-धान्य की कोई कमी नहीं रहती है।
शुक्रवार का व्रत– शुक्र देव का व्रत रखने पर व्यक्ति को सभी प्रकार के भौतिक सुखों की प्राप्ति होती है और उसका वैवाहिक जीवन हमेशा सुखमय बना रहता है।
शनिवार का व्रत– सूर्य पुत्र शनि देव का व्रत रखने से शत्रुओं और विपत्तियों से रक्षा होती है। इस व्रत से लोहा, मशीन आदि से जुड़े कार्यों को करने वालों को विशेष सफलता मिलती है।