फरवरी माह के मुख्य व्रत और त्यौहार

फरवरी माह के मुख्य व्रत और त्यौहार

भोपाल (महामीडिया) त्यौहारों की छड़ियां नया माह आते ही लगने लगती है. महीने की शुरुआत में माघ कृष्णपक्ष चल रहा होगा. वैसे तो हर दिन के पंचांग का विशेष महत्व होता है. कोई विशेष तिथि और त्यौहार हमें जहां विभिन्न तरीकों से पूजा-पाठ और व्रत का अवसर देती है. वहीं ये त्यौहार मन में आनन्द, हर्ष और उल्लास भर देती हैं. 
फरवरी 2022 माह में पड़ने वाले त्यौहारों और उनसे संबंधित व्रत और पूजा 
1 फरवरी 2022 - स्नानदान की भौमवती अमावस्या/मौनी अमावस्या
माघ मास की अमावस्या का दिन भी बड़ा ही पवित्र और पुण्यकारी माना जाता है. इस दिन नदी स्नान और दान का बड़ा महत्व है. मान्यताओं के अनुसार इस दिन पवित्र संगम में देवताओं का निवास होता है. इस मास को भी कार्तिक के समान पुण्य मास कहा गया है. इस दिन मौन रहकर भगवत भजन करने का महत्व है.
4 फरवरी 2022 - विनायकी गणेश चतुर्थी
हर माह के शुक्ल पक्ष में आने वाली चतुर्थी को विनायकी गणेश चतुर्थी व्रत कहते हैं। इस दिन गणेश का व्रत और उपासना करने से घर में सुख-समृद्धि, धन-दौलत, आर्थिक संपन्नता के साथ-साथ ज्ञान एवं बुद्धि की प्राप्ति भी होती है.
5 फरवरी 2022- बसंत पंचमी
वसंत पंचमी पर्व वसंत ऋतु के आगमन का सूचक है. वसंत ऋतुओं में राजा माना जाता है. वाणी की अधिष्ठात्रा देवी मां सरस्वती की आराधना का भी इस दिन विशेष महत्व है. शिशुओं को इस दिन अक्षर ज्ञान कराने की भी प्रथा है. सरस्वती पूजन से पूर्व विधिपूर्वक कलश की स्थापना करनी चाहिए. सर्वप्रथम गणेश, सूर्य, विष्णु, शंकर आदि की पूजा करके सरस्वती पूजन करना चाहिए.
6 फरवरी 2022- शीतला षष्ठी
शीतला षष्ठी माघ के शुक्ल पक्ष की षष्ठी है. इस दिन शीतला देवी के पूजन का विधान है. माता शीतला अपने भक्तों को संतानवान बनाती हैं तथा संतान को रोग मुक्त रहने का वरदान देती है. इस दिन प्रातःकाल स्नानादि दैनिक क्रियाओं से निवृत्त होकर शीतला देवी का षोडशोपचार पूर्वक पूजन करना चाहिए. इस दिन देवी को बासी भोजन का भोग लगाकर बासी भोजन ही खाया जाता है.
7 फरवरी 2022- रथ सप्तमी
माघ मास के शुक्ल पक्ष की सप्तमी को रथ सप्तमी या अचला सप्तमी कहते हैं. मान्यता है कि भगवान सूर्य देव ने रथ सप्तमी के दिन पूरी दुनिया का ज्ञानवर्धन करना शुरू किया था अर्थात इसे भगवान सूर्य का जन्म दिवस भी माना जाता है. सूर्य नारायण के निमित्त स्त्रियां इस दिन को  व्रत करती है और सूर्य देव की पूजा अर्चना करती हैं. इस दिन व्रत करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है.
8 फरवरी 2022- भीष्म अष्टमी / दुर्गाष्टमी
माघ शुक्ल पक्ष की अष्टमी को भीष्म अष्टमी मनाई जाती है. बाल-ब्रह्मचारी भीष्म पितामह की मृत्यु इस तिथि को हुई थी. भीष्म अर्जुन के बाणों से घायल होकर शर-शैय़्य पर पड़े थे. वह दृढ़ निश्चयी, गंभीर तथा निर्मल प्रकृति के थे. इस दिन भीष्म पितामह के निमित्त तिलों के साथ तर्पण तथा श्राद्ध करने वाले व्यक्ति को संतान की प्राप्ति होती है.
12 फरवरी 2022- जया एकादशी व्रत
माघ शुक्ल एकादशी जया एकादशी कहलाती है. इस दिन भगवान केशव की पूजा की जाती है. इस व्रत को करने वाले को भूत, प्रेत, पिशाच आदि निकृष्ट योनियों में जाने का भय नहीं रहता. उसके अनेक जन्मों के पाप तथा दोष नष्ट हो जाते हैं तथा वह इस लोक व परलोक में सुख प्राप्त करता है.
14 फरवरी 2022 और  28 फरवरी 2022- सोम प्रदोष व्रत
सोम प्रदोष व्रत मुख्य रूप से पाप मुक्ति के लिए शुभ होता है. हालांकि अन्य दिनों में पड़ने वाले प्रदोष व्रत सुख-समृद्धि, शांति, आरोग्य, धन-धान्य आदि देते हैं. इस दिन सायंकाल के समय शिवजी की पूजा करना विशेष फलदायी होता है. मंदिर जाकर शिवलिंग पर जलाभिषेक करने से मनोवांछित फल मिलता है.
16 फरवरी 2022 - माघी पूर्णिमा
माघ माह की अंतिम तिथि माघी पूर्णिमा तिथि होती है. यह दिन भगवान सूर्य को प्रसन्न करने के लिए अच्छा होता है. इस दिन पवित्र नदी में स्नान, दान, जाप और व्रत करने से सूर्यदेव का आर्शीवाद और मोक्ष की प्राप्ति होती है. साथ ही रोग भी दूर होते हैं और पुण्य की प्राप्ति होती है.
19 फरवरी 2022 - संकष्टी गणेश चतुर्थी व्रत
विपदाओं को हरने वाले विघ्नहर्ता की पूजा अर्चना का इस दिन विशेष महत्व बताया गया है. इस दिन पूजा-पाठ और भजन करने से सुखों की प्राप्ति होती है और भगवान गणेश की कृपा मिलती है.
27 फरवरी 2022- विजया एकादशी व्रत
फाल्गुन कृष्ण पक्ष की एकादशी को विजया एकादशी मनाई जाती है. इस दिन भगवान विष्णु की पूजा की जाती है. व्रत के प्रभाव से दुःख दारिद्रय दूर होकर समस्त कार्यों में विजय प्राप्त होती है. ऐसी मान्यता है कि फाल्गुन कृष्ण एकादशी के दिन ही भगवान राम लंका पर आक्रमण करने के लिए समुद्र तट पर पहुंचे थे. ऋषियों की सलाह पर उन्होंने  लंका पर चढ़ाई करते समय विजय की कामना से यह व्रत किया था.
28 फरवरी 2022 - महाशिवरात्रि व्रत
शिवरात्रि का व्रत फाल्गुन कृष्ण त्रयोदशी को होता है. कहीं-कहीं लोग चतुर्दशी के दिन भी इस व्रत को करते है. यह भगवान शंकर का अत्यंत महत्वपूर्ण व्रत है. इस व्रत को ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य, शूद्र, नर-नारी, बालक एवं वृद्ध हर कोई कर सकता है. इस दिन गंगाजल और दूध से भगवान शंकर के शिवलिंग की पूजा करने से विशेष लाभ मिलते हैं.
 

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