तीज-त्यौहारः नवरात्रि में मां दुर्गा के नौ रूपों का महत्व
भोपाल (महामीडिया) चैत्र नवरात्रि को बसंत नवरात्रि के रूप में भी जाना है. इस दौरान देवी दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा की जाती है. ये त्योहार बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता है. चैत्र हिंदू चंद्र कैलेंडर का पहला महीना है. इसलिए इस नवरात्रि को चैत्र नवरात्रि कहा जाता है. नौ दिनों तक लोग विधि-विधान से मां दुर्गा की पूजा करते हैं. बहुत से लोग नौ दिनों का उपवास भी रखते हैं. ऐसा करने से मां दुर्गी प्रसन्न होती हैं और सभी मनोकामनाओं को पूरा करती हैं. इस साल चैत्र नवरात्रि की शुरुआत 02 अप्रैल से हो रही है. जानें सभी नौ दिनों का महत्व...
पहला दिन - शैलपुत्री की पूजा
दिनांक - 2 अप्रैल, 2022
चैत्र नवरात्रि के पहले दिन को प्रतिपदा के नाम से भी जाना जाता है. इस दिन भक्त देवी शैलपुत्री की पूजा करते हैं. इस दिन कई भक्त अपने घरों में कलश रखते हैं. देवी शैलपुत्री के माथे पर अर्धचंद्र है और इनके दाहिने हाथ में त्रिशूल और बाएं हाथ में कमल का फूल है.
दूसरा दिन - ब्रह्मचारिणी की पूजा
दिनांक - 3 अप्रैल, 2022
देवी ब्रह्मचारिणी की पूजा दूसरे दिन की जाती है. देवी ब्रह्मचारिणी ज्ञान और रढ़ संकल्प का प्रतिनिधित्व करती हैं.
तीसरा दिन - मां चंद्रघंटा की पूजा
दिनांक -4 अप्रैल, 2022
चैत्र नवरात्रि के तीसरे दिन मां चंद्रघंटा की पूजा की जाती है. ये एक बाघ की सवारी करती हैं. इनके माथे पर अर्धचंद्र है. चंद्रघंटा नाम का अर्थ है जिसके माथे पर चंद्रमा है. ये शांति का प्रतिनिधित्व करती हैं.
चौथा दिन - देवी कृष्मांडा की पूजा
दिनांक - 5 अप्रैल, 2022
चौथे दिन देवी कृष्पांडा की पूजा की जाती है. ऐसा माना जाता है कि देवी ने ब्रह्मांड के निर्माण में योगदान दिया था. देवी दुर्गा का ये रूप सिंह पर सवार है और इनके आठ हाथों में एक माला के अलावा सात घातक शस्त्र हैँ.
पांचवा दिन - स्कंदमाता की पूजा
दिनांक - 6 अप्रैल, 2022
पांचवें दिन भक्त देवी स्कंदमाता की पूजा करते हैं. इन्हें भक्तों की आत्मा को शुद्ध करने वाला माना जाता है. इनकी गोद में इनका पुत्र स्कंद होता है. चार भुजाओं वाली देवी हाथों में कमल धारण करती हैं और अन्य दो में एक पवित्र कमंडल और एक घंटी है.
छटा दिन - देवी कात्यायनी की पूजा
दिनांक -7 अप्रैल, 2022
देवी कात्यायनी की पूजा पवित्र त्योहार के छठे दिन की जाती है. हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार महिषासुर राक्षस को नष्ट करने लिए मां पार्वती ने कात्यायनी का रूप धारण किया था.
सातवां दिन - कालरात्रि पूजा
दिनांक -8 अप्रैल, 2022
देवी कालरात्रि को देवी दुर्गा का सबसे उग्र और सबसे हिंसक रूप माना जाता है. इनकी पूजा नवरात्रि के सातवें दिन की जाती है.
दिन आंठवा - महागौरी की पूजा
दिनांक - 9 अप्रैल, 2022
नवारात्रि में आंठवे दिन महागौरी देवी की पूजा की जाती है. माता महागौरी पवित्रता और शांति का प्रतीक हैं. देवी दुर्गा के भक्त उनका आशीर्वाद लेने के लिए महाअष्टमी पर उपवास रखते हैं.
नौवां रूप - देवी सिद्धिदात्री की पूजा
दिनांक -10 अप्रैल, 2022
नवरात्रि के अंतिम दिन यानी नौवें दिन देवी सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है. रामनवमी के दिन कन्या पूजन किया जाता है. सबसे पहले भक्त नौ छोटी कन्याओं के पैर धोते हैं और फिर उन्हें भोजन कराते हैं.