तीज-त्यौहारः आज पापमोचनी एकादशी है

तीज-त्यौहारः आज पापमोचनी एकादशी है

भोपाल (महामीडिया) चैत्र का मास प्रारंभ हो चुका है. शास्त्रों में इस मास का विशेष धार्मिक महत्व बताया गया है. इस मास की एकादशी तिथि को महत्वपूर्ण माना गया है. पंचांग के अनुसार चैत्र मास की कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को पापमोचनी एकादशी कहा जाता है. आज पापमोचनी एकादशी है. इस दिन विधि-विधान से भगवान विष्णु की पूजा अर्चना की जाती है. 
पापमोचनी एकादशी का महत्व 
पौराणिक मान्यता के अनुसार पापमोचनी एकादशी सभी प्रकार के पापों से मुक्ति दिलाती है. ये एकादशी इस बात का भी अहसास कराती है कि जीवन में कभी भी अपनी जिम्मेदारियों से भागना नहीं चाहिए. हर संभव प्रयास से उन जिम्मेदारियों को पूरा करना चाहिए. जानें अंजाने यदि गलत हो भी जाए तो इस एकादशी का व्रत उन सभी पापों से छुटकारा दिलाता है. इसीलिए पापमोचनी एकादशी को पापों से मुक्ति पाने वाली एकादशी भी कहा जाता है. इस दिन नियमानुसार व्रत रखने से भक्तों को विष्णु जी की कृपा प्राप्त होती है और उनकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं. 
एकादशी पूजन सामग्री-
भगवान विष्णु को पूजन में पीले फूल, पीले वस्त्र, केला, पीली मिठाई, श्रीखंड, पंचामृत, तुलसी का पत्ता, अक्षत्, धूप, दीप, गंध, फल, माला आदि अर्पित करें।
भगवान विष्णु जी का मंत्र-
ओम नमो भगवते वासुदेवाय
पापमोचनी एकादशी मुहूर्त
पापमोचनी एकादशी तिथि की शुरुआत – मार्च 27, 2022 को शाम 06:04 बजे से हो चुकी है.
पापमोचनी एकादशी तिथि का समापन – मार्च 28, 2022 को शाम 04:15 बजे होगा.
पापमोचनी एकादशी व्रत पारण मुहूर्त 
पापमोचनी एकादशी के व्रत का पारण 29 मार्च – सुबह 06:15 से सुबह 08:43 तक किया जाएगा. 
पारण तिथि के दिन द्वादशी समाप्त होने का समय – दोपहर 02:38
पापमोचिनी एकादशी पूजा विधि

  • सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत्त हो जाएं.
  • घर के मंदिर में दीप प्रज्वलित करें.
  • भगवान विष्णु का गंगा जल से अभिषेक करें.
  • भगवान विष्णु को पुष्प और तुलसी दल अर्पित करें.
  • अगर संभव हो तो इस दिन व्रत भी रखें.
  • भगवान की आरती करें.
  • भगवान को भोग लगाएं. इस बात का विशेष ध्यान रखें कि भगवान को सिर्फ सात्विक चीजों का भोग लगाया जाता है. भगवान विष्णु के भोग में तुलसी को जरूर शामिल करें. ऐसा माना जाता है कि बिना तुलसी के भगवान विष्णु भोग ग्रहण नहीं करते हैं. 
  • इस पावन दिन भगवान विष्णु के साथ ही माता लक्ष्मी की पूजा भी करें. 
  • इस दिन भगवान का अधिक से अधिक ध्यान करें. 
     

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