तीज-त्यौहारः शीतला अष्टमी है आज
भोपाल (महामीडिया) शीतला अष्टमी को बसोड़ा के नाम से भी जानते हैं. हर साल चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को शीतला अष्टमी या बसोड़ा मनाया जाता है. आज शीतला अष्टमी है. बसोड़ा के दिन शीतला माता की पूजा की जाती है और उनको बासी पकवानों का भोग लगाया जाता है. शीतला माता की कृपा से उत्तम स्वास्थ्य प्राप्त होता है. छोटे बच्चों के उत्तम स्वास्थ्य के लिए शीतला अष्टमी का व्रत रखा जाता है और पूजा की जाती है. होली के बाद से मौसम में होने वाले बदलावों के प्रति लोगों को जागरुक करने में भी शीतला अष्टमी व्रत को महत्वपूर्ण माना जाता है. स्कंद पुराण के अनुसार, ब्रह्मा जी ने शीतला माता को सृष्टि को आरोग्य रखने की जिम्मेदारी दी है. गर्मी और रोगों से मुक्ति के लिए शीतला माता की पूजा की जाती है.
शीतला अष्टमी तिथि एवं पूजा मुहूर्त
पंचांग के अनुसार, चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि का प्रारंभ 24 मार्च को देर रात 12 बजकर 09 मिनट से शुरू हो चुका है. इस तिथि का समापन 25 मार्च को रात 10 बजकर 04 मिनट पर होगा.
शुक्रवार के दिन शीतला माता की पूजा की जाती है और शीतला अष्टमी या बसोड़ा भी आज ही है. इस वजह से इस बार की शीतला अष्टमी बहुत ही फलदायी हे. शीतला अष्टमी की पूजा का मुहूर्त सुबह 06 बजकर 20 मिनट से शाम 06 बजकर 35 मिनट तक है.
शीतला माता का स्वरुप
शीतला माता आरोग्य प्रदान करने वाली देवी हैं. वे लाल रंग के वस्त्र पहनती हैं. वे चार भुजाओं वाली माता हैं. वे अपने इन हाथों में नीम के पत्ते, कलश, सूप और झाड़ू धारण करती हैं और गर्दभ (गधा) पर सवार होती हैं. नीम के पत्ते, कलश, सूप और झाड़ू स्वच्छता के प्रतीक हैं.
शीतला अष्टमी व्रत का महत्व
जिन लोगों को किसी प्रकार के त्वचा रोग होते हैं, वे विशेष तौर पर शीतला अष्टमी का व्रत रखते हैं. जो लोग शीतला अष्टमी का व्रत रखते हैं और शीतला माता की पूजा करते हैं, उनके परिवार के सदस्य भी सेहतमंद रहते हैं.