सावन शिवरात्रि को आराधना करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है
भोपाल (महामीडिया) सावन मास शिव का मास, शिव को समर्पित मास, शिव की सेवा का मास, शिव की आराधना का मास और शिव से सुख-समृद्धि, कष्टों के निवारण और मोक्ष का आशीर्वाद पाने का मास है। इस मास में भगवान शिव भक्तों पर कृपा बरसाते हैं और भक्त उनसे बेहतर जीवन की कामना करते है। चतुर्दशी तिथि महादेव की तिथि है और उनको समर्पित है। इसलिए इस दिन भोलेनाथ की आऱाधना करने से भक्तों की समस्त मनोकामनाएं पूर्ण होती है। हर मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मासिक शिवरात्रि मनाई जाती है। इस बार सावन की शिवरात्रि 19 जुलाई, रविवार को है।
सावन मास की शिवरात्रि का खास महत्व होता है। इस दिन भगवान भोलेशंकर की भक्तिभाव से आराधना करने पर एश्वर्य का भोग करने के बाद मोक्ष की प्राप्ति होती है। सावन शिवरात्रि के अवसर पर शिवलिंग का जलाभिषेक करने से पूरे साल की पूजा का फल प्राप्त होता है।
सावन शिवरात्रि जलाभिषेक का मुहूर्त
चतुर्दशी तिथि का आरंभ -19 जुलाई2020, रविवार, रात्रि 12 बजकर 41 मिनट पर
चतुर्दशी तिथि का समापन - 20 जुलाई 2020, रात्रि 12 बजकर 10 मिनट तक
सावन शिवरात्रि पूजा विधि
शिवपुराण में शिवरात्रि का बहुत महत्व बतलाया गया है। सावन मास में आने वाली शिवरात्रि का महत्व और ज्यादा हो जाता है। सावन शिवरात्रि के दिन शिवभक्त को सूर्योदय के पूर्व उठना चाहिए। स्नान आदि से निवृत्त होकर एक तांबे के लोटे में गंगाजल लेकर शिव मंदिर जाएं। एक अन्य लोटे में दूध भी ले सकते है। गंगाजल न हो तो शुद्ध और ताजा जल लेकर उसमें किसी पवित्र नदी का थोड़ा सा जल मिला सकते हैं। या शिवलिंग पर ताजा, शुद्ध जल भी समर्पित कर सकते हैं। अब शिवमंत्रों का जाप करते हुए शिवलिंग पर पतली धारा से जल चढ़ाएं। महादेव को अक्षत, सुगंधित फूल, श्वेत पुष्प, आंकड़ा, धतूरा, आदि समर्पित करें। बिल्वपत्र अपनी श्रद्धानुसार शिवलिंग पर समर्पित करें।
महादेव को भांग, ऋतुफल, मिठाई, पंचामृत, पंचमेवा आदि का भोग लगाएं। शिल पंचाक्षरी मंत्र, रुद्राष्टक, शिव महिम्नस्त्रोत, तांडवस्त्रोत, शिव चालीसा इनमें किसी एक का या संभव हो तो सभी का पाठ करें। आखिर में महादेव की आरती उतारें औऱ उनसे मनोकामना पूर्ति और मोक्ष की प्रार्थना करें। ऐसा करने से गृहदोष की पीड़ा का भी नाश होता है।