आंवले की पूजा का पर्व आमलकी एकादशी कल 

आंवले की पूजा का पर्व आमलकी एकादशी कल 

भोपाल [ महामीडिया] कल तीन मार्च फाल्गुन कृष्ण पक्ष की एकादशी है । इसे आंवला (आमलकी) और रंगभरी एकादशी कहा जाता है। ये विष्णु जी के साथ ही आंवले के पेड़ की पूजा का पर्व है। गुरुवार को एकादशी होने से इस दिन गुरु ग्रह के लिए भी विशेष पूजा अर्चना करनी चाहिए। इस तिथि पर सूर्यास्त के बाद तुलसी के पास दीपक जरूर जलाना चाहिए। साथ ही शालीग्राम जी की पूजा भी करें। फाल्गुन मास की शुक्ल पक्ष की इस एकादशी को आमलकी या आंवला एकादशी के रूप में भी मनाया जाता है। इस दिन आंवले के पेड़ की पूजा करने के साथ ही आंवले का दान करने का भी विधान है। जिससे कई यज्ञों का फल मिलता है। पद्म और विष्णु धर्मोत्तर पुराण का कहना है कि आंवले का वृक्ष भगवान विष्णु को बहुत प्रिय होता है। इस पेड़ में भगवान विष्णु के साथ ही देवी लक्ष्मी का भी निवास होता है। इस वजह से आमलकी एकादशी के दिन आंवले के पेड़ के नीचे बैठकर भगवान विष्णु की पूजा करते हैं। मान्यता है कि इस दिन आंवले का दान करने से समस्त यज्ञों और 1 हजार गायों के दान के बराबर फल मिलता है। आमलकी एकादशी का व्रत करने से व्यक्ति को मोक्ष की भी प्राप्ति होती है।
 

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