आंवला एकादशी एवं रंगभरी एकादशी कल
भोपाल [ महामीडिया] 20 मार्च को फाल्गुन महीने के शुक्ल पक्ष की एकादशी है। इसे आमलकी यानी आंवला एकादशी कहते हैं। फाल्गुन महीने में आने के कारण ये हिंदी कैलेंडर की आखिरी एकादशी होती है। इस दिन आंवले के पेड़ की पूजा के साथ ही आंवले का दान करने का भी विधान है। जिससे कई यज्ञों का फल मिलता है। इस दिन आंवला खाने से बीमारियां खत्म होती हैं।होली से चार दिन पहले आने से इसे रंगभरी एकादशी भी कहा जाता है। इस दिन से बनारस में बाबा विश्वनाथ को होली खेलकर इस पर्व की शुरुआत की जाती है। मान्यता है कि इस दिन आंवले के पेड़ को पूजन और आंवले का दान करने से समस्त यज्ञों और 1 हजार गायों के दान के बराबर फल मिलता है। आमलकी एकादशी का व्रत करने से व्यक्ति को मोक्ष मिल जाता है। उदया तिथि के अनुसार, आंवल एकादशी का व्रत 20 मार्च बुधवार को रखा जाएगा। रंगभरी एकादशी का व्रत और पूजन साधकों को 12 महीने की एकादशी के समान फल देने वाला है, साथ ही इस बार का एकादशी व्रत पुष्य नक्षत्र में रखा जाएगा। पुष्य नक्षत्र 19 मार्च रात्रि 08:10 मिनट से 20 मार्च रात्रि 10:38 मिनट तक रहेगा।