पुरुषोत्तम मास में पारिजात, कमल और चंपा के फूलों का विधान 

पुरुषोत्तम मास में पारिजात, कमल और चंपा के फूलों का विधान 

भोपाल [ महामीडिया] अधिक मास में भगवान विष्णु की विशेष पूजा करने का विधान ग्रंथों में बताया गया है। जिसमें विशेष फूल-पत्ते चढ़ाने से पूजा का पूरा फल मिलता है, लेकिन कुछ फूल और पत्ते भगवान विष्णु को पसंद नहीं है। जिन्हें चढ़ाने से पूजा निष्फल मानी जाती है। पुरुषोत्तम मास में पारिजात, कमल और चंपा के फूलों का विधान हैं।
 विष्णु धर्मोत्तर पुराण और पद्म पुराण का कहना है कि पुरुषोत्तम महीने में भगवान विष्णु की पूजा स्वर्ण पुष्प से करने का विधान है। यानी अधिक मास में भगवान विष्णु को चंपा के फूल चढ़ाने से ही हर तरह के पाप खत्म हो जाते हैं और मनोकामनाएं पूरी होती हैं। आश्विन महीने में जूही और चमेली के फूल से भगवान विष्णु की पूजा करने से सौभाग्य और समृद्धि बढ़ती है। इनके साथ ही तुलसी पत्र भी भगवान पर चढ़ाने चाहिए। इससे हर तरह के दोष भी खत्म हो जाते हैं। भगवान विष्णु की पूजा में पारिजात, मालती, केवड़ा, चंपा, कमल, गुलाब, मोगरा, कनेर और गेंदे के फूल का उपयोग करना चाहिए। इससे श्रीहरि प्रसन्न होते हैं। इनके साथ ही जाती, पुन्नाग, कुंद, तगर और अशोक वृक्ष के फूल भी भगवान के प्रिय फूलों में आते हैं। इन फूलों से पूजा करने पर भगवान विष्णु के साथ ही लक्ष्मी जी भी प्रसन्न होती हैं। 
भगवान विष्णु की पूजा में फूल से साथ पत्ते भी चढ़ाए जाते हैं। इनसे धन-धान्य और सुख बढ़ता है। भगवान विष्णु के पसंदीदा पत्तों में तुलसी, शमी पत्र, बिल्वपत्र और दूर्वा यानी दूब है। इनके साथ ही भृंगराज, खेर, कुशा, दमनक यानी दवना और अपामार्ग यानी चिरचीटा के पत्ते भी विष्णुजी की पूजा में उपयोग किए जाते हैं।

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