शिव पुराण के वाचक और श्रोता इन नियमों का करें पालन

शिव पुराण के वाचक और श्रोता इन नियमों का करें पालन

 भोपाल [ महामीडिया ]महादेव की महिमा अपरंपार है। उनके भेद कोई जान नहीं पाया और उनका गुणगान अनेक पौराणिक शास्त्रों में किया गया है। धर्मशास्त्रों में भोलेनाथ को देवताओं में सर्वश्रेष्ठ और शीघ्र प्रसन्न होने वाला बताया है। भोलेनाथ भक्तों की थोड़ी से आराधना से प्रसन्न हो जाते हैं उनको मनचाहा वरदान देते हैं। इसलिए बुराइयों का नाश करने वाले देवता भोलेनाथ को देव, दानव, यक्ष, किन्नर, मानव आदि पूरे भक्तिभाव से पूजते हैं। अठारह पुराणों मे से दो पुराणों में भगवान शिव का महिमामंडन किया गया है। ये शिवपुराण और लिंगपुराण है।धर्मशास्त्रों में शिवपुराण के वाचन और श्रवण का विशेष महत्व बताया गया है। विशेष अवसरों पर शिवपुराण के वाचन से सुख-समृद्धि मिलने के साथ अंत में मोक्ष की प्राप्ति होती है।
- शिवपुराण करने वाले कथावाचक, संत, महात्मा या ब्राह्मण को कथा शुरू के दिन से एक दिन पहले ही व्रत लेकर क्षौर कर्म कर लेना चाहिए। इसके बाद कथा की समाप्ति तक क्षौर कर्म यानी बाल बनाना, शेविंग करना आदि नहीं करना चाहिए।
- गरिष्ठ अन्न यानी पचने में दिक्कत देने वाले अन्न का सेवन कर शिवपुराण का श्रवण नहीं करना चाहिए।
- शिवपुराण का श्रवण करने वालों को कथा प्रारंभ होने से पहले गुरु से दीक्षा ग्रहण करनी चाहिए। दीक्षा लेने के बाद ब्रह्मचर्य का पालन करना, भूमि पर शयन करना, पत्तल में खाना और रोजाना कथा समाप्त होने पर ही भोजन ग्रहण करना चाहिए।
- शिवपुराण कथा का व्रत लेने वाले पुरूष को रोजाना एक ही बार भोजन करना चाहिए, जिसमें जौ, तिल और चावल शामिल होना चाहिए। व्रत लेने वाले को प्याज, लहसुन, हींग, गाजर, मादक वस्तुओं आदि का पूर्णत; त्याग कर देना चाहिए।
- कथा का व्रत रखने वाले को काम और क्रोध और दूसरे व्यसनों से बचना चाहिए साथ ही ब्राह्मणों और साधु-संतों की निंदा भी इस समय नहीं करनी चाहिए।
- शिवपुराण की कथा का श्रवण गरीब, रोगी, पापी, भाग्यहीन और संतान रहित पुरूष को जरूर करना चाहिए।
- कथा की समाप्ति पर एक महोत्सव का आयोजन करना चाहिए। इस दौरान शिव के साथ शिवपुराण की पूजा करना चाहिए। ब्राह्मणों को भोजन करवाकर उनका सम्मान करना चाहिए और यथोचित दक्षिणा देना चाहिए। कथावाचक को सम्मान के साथ उचित दान-दक्षिणा देकर विदा करना चाहिए।- कथा के समापन पर श्रद्धा अनुसार कम से कम 11 ब्राह्मणो को शहद मिश्रित खीर और स्वादिष्ट पकवानों के साथ भोजन करवाएं।

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