आदित्य हृदय स्तोत्र की महिमा

आदित्य हृदय स्तोत्र की महिमा

भोपाल (महामीडिया) सूर्य को ग्रहों का राजा माना जाता है और प्रत्यक्ष देवता के रूप में सूर्यदेव की उपासना की जाती है क्योंकि सूर्य की ऊर्ज से ही आमजनमानस को जीवन मिलता है. ज्योतिष में सूर्य को नौकरी पेशी, सामाजिक प्रतिष्ठा और आत्म सम्मान आदि का कारक माना जाता है. कहा जाता है कि कुंडली में अगर सूर्य कमजोर स्थिति में हों, तो व्यक्ति को जीवन में कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है.
ऐसे में व्यक्ति के पिता से संबन्ध खराब होते हैं, अपयश का सामना करना पड़ता है, नौकरी में परेशानी आती है और व्यक्ति तमाम रोगों से घिर जाता है. इन स्थितियों के बीच धन हानि भी होती है. ऐसे में सूर्य को मजबूत स्थिति में बनाए रखना बहुत जरूरी है. अगर आपकी कुंडली में भी सूर्य कमजोर है, तो इसे मजबूत करने के लिए आपको आदित्य हृदय स्तोत्र का नियमित रूप से पाठ करना चाहिए. अगर रोजाना नहीं कर सकते तो कम से कम रविवार के दिन जरूर करें. रविवार का दिन सूर्य देव को ही समर्पित होता है. 
प्रभु श्रीराम ने भी किया था इस स्तोत्र का पाठ
आदित्य हृदय स्तोत्र की रचना महर्षि अगस्त्य ने की थी. श्री वाल्मीकि रामायण के युद्ध कांड के एक सौ पाचवें सर्ग में उल्लेख है कि प्रभु श्रीराम ने रावण से युद्ध करने से पहले सूर्य देव का आशीर्वाद लिया था और आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ किया था. ये स्तोत्र जीवन में सकारात्मक बदलाव लेकर आता है और व्यक्ति को हर जगह मान-सम्मान दिलाने में सक्षम है.
सुबह के समय पढ़ना चाहिए आदित्य हृदय स्तोत्र
आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ सुबह के समय करना उत्तम माना जाता है. सुबह स्नान के बाद तांबे के लोटे में जल लेकर इसमें रोली, अक्षत, लाल पुष्प और गुड़ डालकर सूर्य देव को अर्घ्य दें. अर्घ्य देते समय गायत्री मंत्र का जाप करें. इसके बाद भगवान भुवन भास्कर के समक्ष इसका पाठ करना चाहिए. पाठ करने के बाद सूर्य देव को प्रणाम करें. रविवार के दिन इसका पाठ कर रहे हैं, तो उस दिन नमक का सेवन न करें. मांस, म​दिरा, प्याज, लहसुन और शराब आदि चीजों से दूर रहें.
किनको करना चाहिए पाठ
– यदि लगातार किसी रोग से पीड़ित हैं तो इसका पाठ कर सकते हैं.
– पिता से संबन्ध अच्छे नहीं हैं, तो भी इसका पाठ करना श्रेयस्कर है.
– राज्य पक्ष से पीड़ा है या कोई सरकारी मुकदमा चल रहा है तो इस स्तोत्र का पाठ लाभकारी है.
– जीवन के किसी भी बड़े कार्य की सफलता के लिए भी इसका पाठ किया जा सकता है.
– करियर में सफलता, मान-सम्मान में वृद्धि और प्रतियोगी परीक्षा में सफलता के लिए इसका पाठ करना हितकर माना जाता है.
– आत्मविश्वास की कमी है तो भी इस स्तोत्र को पढ़ने से काफी लाभ मिलेंगे.
क्या हैं लाभ
आदित्य हृदय स्तोत्र का विधि पूर्वक पाठ करने से व्यक्ति को सूर्य देव का आशीर्वाद प्राप्त होता है. इससे जीवन में अपार सफलता प्राप्त होती है. वो जिस मनोकामना के साथ ये पढ़ता है, वो पूरी होती है. पिता से संबन्ध अच्छे होते हैं और उनका सहयोग प्राप्त होता है. समाज में मान-सम्मान और प्रतिष्ठा बढ़ती है. तमाम रोगों से छुटकारा मिलता है. मन से किसी भी तरह का डर दूर होता है और व्यक्ति आत्मविश्वासी बनता है. नकारात्मक विचारों से मुक्ति मिलती है.
 

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