महर्षि संस्थान में ज्ञानामृत सत्संग कल से
भोपाल [ महामीडिया] महर्षि महेश योगी संस्थान के प्रमुख ब्रह्मचारी गिरीश जी ने "सत्संग" के बारे में उसकी विशेषता और आवश्यकता बताते हुए सभी आमजन लोगो से अपील की है कि 6 जून से महर्षि संस्थान द्वारा प्रारम्भ किये जा रहे प्रथम एवं तृतीय गुरुवार को ज्ञानामृत सत्संग में अधिक से अधिक लोग शामिल हों ।
ब्रह्मचारी गिरीश जी ने बताया कि "भारतीय वैदिक शाश्वत सनातन परंपरा में सत्संग का अत्यधिक महत्व है। इसी को दृष्टिगत रखते हुए परम पूज्य महर्षि महेश योगी जी की देवीय प्रेरणा और आशीर्वाद से "ज्ञानामृत सत्संग" आयोजित करने की प्रबल इच्छा हुई है। भगवान् श्रीकृष्ण ने अपने उपदेश में स्वयं कहा है "न हि ज्ञानेन सदृशं पवित्रमिह विद्यते" और "ऋते ज्ञनान्न मुक्तिः"। ज्ञान अत्यंत पवित्र है एवं समस्त दुखों को निर्मूल करने वाला है, आत्मचेतना में जाग्रत जीवंत ज्ञान जीवन का मूलाधार है, ज्ञान मोक्षकारक है। उन्होंने बताया कि वर्तमान वैयक्तिक व सामाजिक वातावरण में हम सत्संग के माध्यम से सहजता पूर्वक ज्ञान अर्जित करके धर्म का पालन करते हुए, समस्त प्राप्तियों का आनंद लाभ उठाना, समस्त कामनाओं की पूर्ति करके जीवन को धन्य करना और फिर अंत में मोक्ष की प्राप्ति करके प्रभु चरणों में स्थान पा लेना, जीवत्व का परम ब्रह्म में लीन हो जाना, स्वयं ब्रह्म ही हो जाना, यह जो सत्संग का पुण्य लाभ है l
ब्रह्मचारी गिरीश जी ने सभी लोगो को कार्यक्रम स्थल पर या ऑनलाइन के माध्यम सेआमंत्रित करते हुए अपनी व्यस्त जीवनचर्या में से कुछ समय जीवन परक ज्ञानार्जन और ज्ञान फल की प्राप्ति में लगाकर इस लोक और परलोक में आनंद से ओतप्रोत होकर अपने मानव जीवन को धन्य करने का आग्रह किया है । उनका कहना है की हमारा पूर्ण प्रयत्न होगा कि सर्वोच्च वैदिक ज्ञान-विज्ञान के विभिन्न मानव हितकारी विषयों और जीवन के तीनों पक्ष अध्यात्म, अधिदेव व अधिभूत का ज्ञान हम आपस में साझा कर सकें। महर्षि महेश योगी संस्थान द्वारा 6 जून से प्रत्येक माह के प्रथम एवं तृतीय गुरुवार को "ज्ञानामृत सत्संग" प्रारंभ किया जा रहा है lकार्यक्रम महर्षि वैदिक सांस्कृतिक केंद्र ,अरेरा कालोनी, भोपाल मे रखा गया है ।