शास्त्रों में पितृ पूजा, देव पूजा से भी श्रेष्ठ मानी गई है 

शास्त्रों में पितृ पूजा, देव पूजा से भी श्रेष्ठ मानी गई है 

भोपाल (महामीडिया) आज पितृ पक्ष का पांचवा श्राद्ध है. इस श्राद्ध को पंचमी श्राद्ध भी कहा जाता है. इस दिन का श्राद्ध बहुत ही महत्वपूर्ण माना गया है. जिस तरह हम किसी के जन्मदिन या अवसर विशेष पर जब उससे मिलते हैं तो खाली हाथ नहीं जाते, उसी तरह श्राद्ध पक्ष में भी करते हैं। पूर्वजों को समर्पित इस 16 दिवसीय श्राद्ध पक्ष में आप उन्हें बिना कुछ भेंट किए कैसे याद कर सकते हैं? श्राद्ध के बारे में यह जानकारी उज्जैन के रामानुज कोट के माधव प्रपन्नाचार्य ने वेबिनार में कही। रविवार को आयोजित इस वेबिनार में श्रोताओं द्वारा पूछे गए सवालों के जवाब देते हुए स्वामी माधव प्रपन्नाचार्य ने कहा कि शास्त्र के अनुसार देव पूजा से भी श्रेष्ठ पितृ पूजा मानी गई है क्योंकि यह हमें पूर्वजों द्वारा दी गई शिक्षा, बेहतर जीवन और आशीष के प्रति कृतज्ञ भाव रखना सिखाता है। उन्होंने कहा कि पूर्वज श्रद्धा के भूखे हैं सामग्री के नहीं, इसलिए इसे श्राद्ध पक्ष कहते हैं।
श्राद्ध पक्ष में पूर्वजों के निमित्त तर्पण, पिंडदान, अग्निकर्म और ब्राह्मण भोज का विधान है। यदि कोई सामर्थ्य या परिस्थिति नहीं है तो केवल ब्राह्मण भोज, यह भी नहीं तो ब्राह्मण को सीधा, यह भी नहीं तो गाय को चारा, यह भी संभव न हो तो दक्षिण दिशा की ओर मुंह करके दोनों हाथ ऊंचे कर पूर्वजों का नाम लेकर याद करना भी पर्याप्त है। 
 

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