"महर्षि आश्रम " महाकुंभ श्रद्धालुओं के आकर्षण का केंद्र बना
प्रयागराज [ महामीडिया] महाकुंभ के अवसर पर संगम तट पर स्थित "महर्षि आश्रम "में समस्त विश्व के कल्याण हेतु महर्षि महेश योगी जी के तपोनिष्ठ शिष्य ब्रह्मचारी गिरीश जी की उपस्थिति में वैदिक पंडितों द्वारा रुद्राष्टाध्यायी के 1331 पाठ एवं हवन किये जा रहे हैं ।
इस अवसर पर इस अवसर पर अनंत विभूषित ज्योतिपीठाधीश्वर जगतगुरु शंकराचार्य स्वामी वासुदेवानंद सरस्वती जी महाराज, बद्रिकाश्रम, हिमालय ने महाकुंभ के दौरान महर्षि आश्रम में "महर्षि लोक स्तंभ" एवं "महर्षि लोक" की स्थापना के लिए महर्षि महेश योगी संस्थान के प्रमुख ब्रह्मचारी जी के प्रयासों को महत्वपूर्ण बताते हुए कहा कि ऐसा पहले कभी भी नहीं हुआ था जो ब्रह्मचारी जी इस गंगा, यमुना एवं सरस्वती के संगम तट पर करने जा रहे हैं। वैश्विक गुरु महर्षि जी के बारे में लोगों को जानने समझने का बेहतर अवसर यहां पर मिलेगा। ब्रह्मचारी गिरीश जी की समस्त संकल्पनाएं पूर्ण होंगी।"
इस अवसर पर महर्षि महेश योगी संस्थान के प्रमुख ब्रह्मचारी गिरीश जी ने अपने सन्देश में कहा कि ”रुद्राष्टाध्यायी के 1331 पाठ एवं हवन का मुख्य प्रयोजन विश्व के प्रत्येक नागरिक एवं राष्ट्र को अजयेता प्रदान करना है।”
यहाँ पर अपरान्ह में श्रीमद् भागवत महापुराण कथा का आयोजन हो रहा है। कथा का वाचन वृंदावन से पधारे विश्व प्रसिद्ध कथा व्यास आचार्य बद्रीश जी महाराज के द्वारा किया जा रहा है।संध्याकाल में सुप्रशिद्य भजन गायकों द्वारा सांस्कृतिक प्रस्तुतियां दी जा रही है। संगम तट पर स्थित "महर्षि आश्रम" में श्रद्धालुओं का निरंतर आगमन बना हुआ है। सुबह यज्ञ एवं पाठ से लेकर श्रीमद् भागवत कथा एवं रात्रि में विभिन्न भजन गायकों द्वारा दी जा रही एक से बढ़कर एक सांस्कृतिक प्रस्तुतियां आकर्षण का केंद्र बनी हुई हैं।
"महर्षि आश्रम "में यह क्रम निरन्तर 45 दिनों तक महाकुम्भ के दौरान चलेगा ।