
सकारात्मक ऊर्जा के लिए घर के मंदिर में रोज दीपक जलाएँ
भोपाल [महामीडिया] जिन घरों में भगवान की प्रतिमाएं और तस्वीरें होती हैं वहां सकारात्मक ऊर्जा बनी रहती है ऐसी मान्यता है। इस मान्यता की वजह से ही घर में भगवान के लिए अलग से पूजन कक्ष बनाने की परंपरा है। घर में पूजन कक्ष किस दिशा में बनाना ज्यादा शुभ होता है, इस संबंध में वास्तु शास्त्र में कई नियम बताए गए हैं। वास्तु शास्त्र एक ऐसी विद्या है, जिसमें घर की स्थिति को शुभ बनाए रखने के लिए नियम बताए गए हैं। घर में मंदिर या पूजा घर केवल एक पूजा स्थल नहीं होता, यह पूरे परिवार का आध्यात्मिक केंद्र होता है। वास्तु शास्त्र के अनुसार, घर में मंदिर की सही स्थिति और शुभ दिशा से सकारात्मक ऊर्जा और समृद्धि का प्रवाह बना रहता है। पूजा स्थान की दिशा बहुत महत्वपूर्ण होती है। यह न केवल घर की ऊर्जा को प्रभावित करता है, बल्कि मानसिक शांति और आत्मिक आनंद में भी सहायक होती है। घर के मंदिर के लिए उत्तर-पूर्व दिशा (ईशान कोण) को सबसे शुभ माना गया है। ये दिशा देवताओं का वास स्थल है और ध्यान-पूजन के लिए विशेष फलदायी मानी जाती है। मंदिर केवल पूजा का स्थान नहीं होता, यह एक ऐसा स्थान है, जहां ध्यान और पूजा करने से श्रद्धा, ऊर्जा और आत्मिक शांति प्राप्त होती है। जब आप घर के मंदिर को वास्तु के अनुसार सही दिशा, सही सामग्री और सही नियमों के साथ बनाते हैं तो वह स्थान आपकी दैनिक जीवनशैली में एक शांति और संतुलन बनाने का काम करता है। एक दीपक से शुरू होने वाली साधना पूरे घर में सकारात्मक ऊर्जा भर देती है।