पूर्वजों के आत्मा की शांति का पर्व श्राद्ध पक्ष

पूर्वजों के आत्मा की शांति का पर्व श्राद्ध पक्ष

भोपाल [महामीडिया] पितृ पक्ष का पर्व अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए अनुष्ठान करने का सबसे शुभ समय माना जाता है। यह पर्व कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि से शुरू होता है, जिसे प्रतिपदा श्राद्ध कहा जाता है। पितृ पक्ष का समापन कृष्ण अमावस्या पर होता है, जिसे सर्व पितृ अमावस्या के नाम से जाना जाता है।पितृ पक्ष की अवधि चंद्रमा की तिथियों के अनुसार 14, 15 या 16 दिनों की होती है, हालांकि पारंपरिक रूप से इसे 15 तिथियों (चंद्र दिवस) का माना जाता है। इस दौरान लोग श्राद्ध, पिंड दान, ब्राह्मण भोज, पंचबली अनुष्ठान आदि करते हैं, ताकि उनके पूर्वजों की आत्मा को शांति मिल सके। यह समय पितृ दोष से मुक्ति पाने के लिए भी सबसे अनुकूल माना जाता है। अभी पितृ पक्ष चल रहा है। ये घर-परिवार के पितर देवता को याद करने और उनके लिए धूप-ध्यान करने का उत्सव है। पितृ पक्ष 21 सितंबर तक चलेगा। इस पक्ष में मृत व्यक्ति की मृत्यु तिथि के अनुसार श्राद्ध, पिंडदान, तर्पण किया जाता है। आमतौर पर संतान ही अपने माता-पिता और कुटुंब के अन्य पितरों के लिए धूप-ध्यान करती है, लेकिन किसी मृत व्यक्ति की संतान न हो तो उसकी पत्नी को धूप-ध्यान करना चाहिए।

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