कार्तिक मास में रोज दीपदान करने की परंपरा

कार्तिक मास में रोज दीपदान करने की परंपरा

भोपाल [महामीडिया] अभी कार्तिक मास चल रहा है और इस महीने में रोज दीपदान करने की परंपरा है। इसी महीनों में दीपों का पर्व दीपावली (20 अक्टूबर) भी मनाया जाता है। मान्यता है कि दीपक की रोशनी देवी-देवताओं को बहुत प्रिय है। दीपक रोशनी सकारात्मकता की प्रतीक है।कार्तिक मास में प्रतिदिन दीपदान करने की परंपरा है। विशेष रूप से सूर्यास्त के बाद दीप जलाने से वातावरण पवित्र होता है और नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है। नदियों के किनारे, तालाबों या घर के बाहर दीपक जलाना चाहिए। तुलसी के पौधे के पास भी प्रतिदिन दीपक रखें और संध्या वंदन करें। दीपदान से मन की शुद्धि होती है और घर में सुख-शांति बनी रहती है। पास के मंदिरों में भी जाकर दीप जलाना चाहिए। ऐसा करने से सकारात्मक ऊर्जा बनी रहती है। कार्तिक मास में दिन की शुरुआत सूर्य पूजा के साथ करनी चाहिए।समय ऋतु परिवर्तन का है वर्षा ऋतु समाप्त होकर शीत ऋतु शुरू हो रही है। इस समय सुबह जल्दी उठना चाहिए क्योंकि देर तक सोने से आलस बना रहता है और शरीर सक्रिय नहीं हो पाता। स्नान के बाद तांबे के लोटे में जल भरकर उसमें चावल, कुमकुम और लाल फूल डालें। फिर ॐ सूर्याय नमः मंत्र का जप करते हुए सूर्य को अर्घ्य दें। कुछ देर सूर्य की किरणों में खड़े रहें जिससे शरीर को आवश्यक विटामिन डी भी मिलता है।

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